महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। आंदोलन के हिंसक रूप ले लेने के बाद राज्य सरकार ने इस मुद्दे पर विचार के लिए बुधवार की सुबह सर्वदलीय बैठक बुलाई, लेकिन कथित तौर पर इसमें शिवसेना (यूबीटी) को नहीं बुलाया गया है। इसको लेकर शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उनका कहना है कि मराठा आरक्षण पर महाराष्ट्र सरकार के रवैये से साफ है कि सरकार अनुचित तरीके से काम कर रही है। संवैधानिक तरीका नहीं अपनाया जा रहा है।
दरअसल मराठा आरक्षण आंदोलन के बीच हालात पर चर्चा करने के लिए राज्य सरकार बुधवार की सुबह सर्वदलीय बैठक बुलाई है। सीएम आफिस के मुताबिक मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे बैठक में विपक्षी दलों के नेताओं को स्थिति से निपटने के लिए सरकार की योजनाओं की जानकारी देंगे और उनसे सहयोग का आग्रह करेंगे। आरक्षण की मांग को लेकर कार्यकर्ता मनोज जरांगे का अनिश्चितकालीन अनशन सातवें दिन में पहुंच गया है। पिछले दो दिन में राज्य के कई हिस्सों में हिंसा की घटनाएं देखी गईं। मराठवाड़ा के पांच जिलों में सरकारी बस सेवाएं पूरी तरह से निलंबित कर दी गई हैं।
मुख्यमंत्री ने लोगों से हिंसा न करने की अपील की है और राजनीतिक दलों से भी ऐसी किसी भी गतिविधि में शामिल होने से बचने को कहा है जिससे हालात खराब हो।
उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, “इस सरकार का क्या करें? भले ही महाराष्ट्र जल रहा हो, लेकिन उनकी बेशर्म राजनीति जारी है। मराठा आरक्षण मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने सर्वदलीय बैठक बुलाई, उस बैठक में शिवसेना को नहीं बुलाया गया था। शिवसेना के पास 16 विधायक और 6 सांसद हैं। मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है। जिनके पास एक विधायक है उनको भी निमंत्रण, जिनके पास विधायक नहीं है उन्हें भी निमंत्रण मिला, लेकिन शिवसेना की नजरें लगी हुई हैं। केवल महाराष्ट्र विधान परिषद में विपक्ष के नेता अंबादास दानवे को बुलाया गया। ठीक है। हमें सम्मान नहीं चाहिए, लेकिन सवाल हल करो। जारांगे पाटिल की जान बचाएं। संविधानेतर सरकार का घड़ा भर गया है। हिसाब-किताब का समय नजदीक आ रहा है। जय महाराष्ट्र!”
वहीं शिवसेना (यूबीटी) सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, ”…उद्धव ठाकरे ने मराठा आरक्षण को लेकर चल रहे आंदोलन का समर्थन किया है और वह यह भी मांग कर रहे हैं कि इस पर जल्द फैसला होना चाहिए… आप इससे क्या उम्मीद कर सकते हैं गद्दार?… महाराष्ट्र को एक प्रगतिशील और समावेशी राज्य माना जाता है। सीएम और डिप्टी सीएम ने मराठा लोगों से कई वादे किए थे। यह आंदोलन इसलिए है क्योंकि उन्होंने वादाखिलाफी की है…”
राज्य में हिंसा बढ़ने पर बीड जिले के कुछ हिस्सों में कर्फ्यू लगा दिया गया है। बीड और जालना में इंटरनेट सेवाएं बंद हैं। आंदोलनकारी राजनीतिक नेताओं के घरों को निशाना बना रहे हैं।