दिल्लीवासियों को अब चिकन- मटन खरीदने के लिए अधिक कदमताल करना पड़ सकता है। ऐसा एमसीडी की ओर से पास किए गए नए प्रस्ताव की वजह से करना पड़ेगा। म्यूनिसिपल कॉर्पोरेशन ऑफ दिल्ली (एमसीडी) में मंगलवार को मीट की दुकानों के लिए नई नीति को मंजूरी दी गई। इसके तहत मांस की दुकान और धार्मिक स्थल के बीच कम से कम 150 मीटर की दूर होनी चाहिए। हालांकि, मीट बेचने वालों ने इस फैसले का विरोध किया है और कोर्ट जाने की बात कही है।
नई नीति के अनुसार, मीट की दुकान और किसी धार्मिक स्थल या श्मशान घाट के बीच की दूरी 150 मीटर से कम नहीं हो सकती है। एमसीडी ने यह भी कहा है कि तब यह दूरी नहीं देखी जाएगी जब लाइसेंस मिलने के बाद धार्मिक स्थल अस्तित्व में आया हो। पॉलिसी में यह छूट दी गई है कि पोर्क (सूअर का मांस) को छोड़कर अन्य मंजूर मांस की दुकानों को मस्जिद के पास खोला जा सकता है, यदि मस्जिद कमेटी या इमाम आवेदक को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट(एनओसी) दे। आम आदमी पार्टी शासित एमसीडी का यह नया नियम डिपार्टमेंट ऑफ वेटनरी सर्विसेज की ओर से नोटिफिकेशन जारी होने के बाद लागू होगा।
नीति के मुताबिक, मीट शॉप के लिए नये लाइसेंस या रीन्यूवल के लिए 18000 रुपये फीस देनी होगी, जबकि प्रोसेसिंग यूनिट के लिए 1.5 लाख रुपये देने होंगे। नई नीति में यह भी कहा गया है कि फीस और पेनल्टी में हर तीन वित्त वर्ष के बाद 15 फीसदी की वृद्धि की जाएगी। दिल्ली मास्टर प्लान 2021 के अनुसार रिहायशी इलाकों में मांस की दुकानों का न्यूनतम आकार 20 स्क्वायर मीटर हो सकता है। व्यावसायिक इलाकों में दुकानों के आकार पर कोई प्रतिबंध नहीं है। मीट प्रोसेसिंग प्लांट के लिए न्यूनतम आकार 150 स्क्वायर मीटर है।
दिल्ली मीट मर्चेंट असोसिएशन ने पॉलिसी का विरोध करते हुए कहा है कि इससे भ्रष्टाचार को बढ़वा मिलेगा।असोसिएशन के एक अधिकारी ने पीटीआई से कहा, ‘एक अवैध दुकान मालिक जिसके लिए 2700 भी देना कठिन है, क्यों रिन्यूअल के लिए 7 हजार रुपये देगा, यदि वह कुछ पैसे लोकल पुलिस को देकर काम चला सकता है। इससे एमसीडी को राजस्व का घाट होगा और भ्रष्टाचार भी बढ़ेगा।’ असोसिएशन ने कहा है कि यदि नीति को वापस नहीं लिया गया तो वह एमसीडी के खिलाफ प्रदर्शन करेंगे और कोर्ट भी जा सकते हैं।