सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देश के कई राज्यों में बढ़ते वायु प्रदूषण पर गंभीर चिंता जताई। कोर्ट ने दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और राजस्थान सरकारों को निर्देश दिया है कि वे हलफनामा दाखिल कर बताएं कि वायु प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए उन्होंने अब तक क्या कदम उठाए हैं। जस्टिस एसके कौल की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने उन्हें एक हफ्ते के भीतर हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। पीठ में न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति पीके मिश्रा भी शामिल थे।
सुप्रीम कोर्ट ने राजधानी के हालात पर सख्त नाराजगी जताते हुए कहा कि प्रदूषण पर नियंत्रण लगाने के लिए सभी चीज़ें सिर्फ पेपर पर हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत कुछ और है। कोर्ट ने कहा कि दिल्ली में वायु प्रदूषण की एक मुख्य वजह फसल जलाना है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) से राजधानी और उसके आसपास वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए उठाए जा रहे कदमों पर रिपोर्ट मांगी थी। सर्दियां करीब आने के साथ नई दिल्ली और मुंबई जैसे प्रमुख महानगरों में हवा की गुणवत्ता में गिरावट आनी शुरू हो गई है। इसके चलते अधिकारियों पर प्रदूषण नियंत्रण के लिए उपायों को तेजी से लागू करने के लिए दबाव बढ़ गया है।
नई दिल्ली में मंगलवार की सुबह 9 बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 350 पर था। यह हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ होने का सूचक है। वायु गुणवत्ता शुरुआती चेतावनी प्रणाली के अनुसार अनुमान है कि हवा की गुणवत्ता कम से कम 2 नवंबर तक ‘बहुत खराब’ बनी रहेगी।
हवा की खराब गुणवत्ता पर नियंत्रण के लिए बुधवार से केवल इलेक्ट्रिक, सीएनजी और बीएस-VI मानक वाली बसें ही अन्य राज्यों से दिल्ली में प्रवेश कर सकेंगी। साथ ही 1 नवंबर से शहर में प्रवेश करने वाली बसों की जांच के लिए सभी प्रवेश बिंदुओं पर परिवहन विभाग अभियान चलाएगा। जो भी बसें नियमों का पालन नहीं करेंगी, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
दिल्ली के दुनिया के सबसे प्रदूषित राजधानी शहरों में से एक होने के पीछे यहां का भूगोल, वाहनों को चलाने का रवैया, धूल और खेत में लगने वाली आग आदि का एक जटिल मिश्रण है। इसमें मौसम भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।