कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इजरायल-हमास के बीच जारी संघर्ष को लेकर एक आर्टिकल लिखा है। सोनिया गांधी ने लेख की शुरुआत करते हुए लिखा कि सभ्य दुनिया में हिंसा की कोई जगह नहीं है और कांग्रेस हिंसा के हर रूप के खिलाफ है। इजरायल-हमास के बीच तनाव अभी भी अपने उरूज़ पर है और अब तक हजारों लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। दुनिया के कई हिस्सों में इस मामले को लेकर विरोध प्रदर्शन देखे गए हैं वहीं यूएन लगातार बयान जारी कर रहा है।
सोनिया गांधी अपने लेख में इजरायली हमले का जिक्र करते हुए लिखती हैं,”गाजा में और उसके आसपास इजरायली सेना के अंधाधुंध अभियान काफी गंभीर हो गए हैं जिसके कारण बड़ी तादाद में निर्दोष बच्चों, महिलाओं और पुरुषों सहित हजारों लोगों की मौत हो गई है। इजरायल अब बदले की भावना से उन लोगों पर हमला कर रहा है जो काफी हद तक असहाय होने के साथ-साथ निर्दोष भी हैं। दुनिया के सबसे शक्तिशाली सैन्य शस्त्रागारों में से एक की विनाशकारी ताकत बच्चों, महिलाओं और पुरुषों पर लागू की जा रही है, जिनका हमास के हमले में कोई लेना देना नहीं है।”
वह आगे लिखती हैं, “इस युद्ध में कई परिवारों का सफाया हो गया है, जिन्हें मलबे में तब्दील कर दिया गया है। चिकित्सा सुविधाएं कम पड़ गई हैं। इजरायल का पानी, भोजन और बिजली से इनकार फ़िलिस्तीनी लोगों की सामूहिक सज़ा से कम नहीं है। बाहरी दुनिया में विशेष रूप से जो लोग मदद करना चाहते हैं उन्हें गाजा में जाने से रोक दिया गया है। राहत और सहायता बहुत कम मात्रा में पहुंच रही है। यह न सिर्फ अमानवीय है बल्कि अंतरराष्ट्रीय कानून में गैरकानूनी भी है। बहुत कम गाजावासी हिंसा से अछूते हैं। अब कब्जे वाले वेस्ट बैंक में भी आग भड़क गई है और संघर्ष बढ़ रहा है।”
कांग्रेस नेता सोनिया गांधी ने लिखा, “इजरायली अधिकारियों ने गाजा के बड़े हिस्से को खत्म करने और आबादी ख़त्म करने की बात कही है। इजरायली रक्षा मंत्री ने फ़िलिस्तीनियों को “मानव जानवर” कहा है। यह अमानवीय भाषा चौंकाने वाली है जो उन लोगों के वंशजों से आ रही है जो स्वयं नरसंहार के शिकार थे। मानवता अब ट्रायल पर है, जहां इजरायल पर क्रूर हमलों से हम सामूहिक रूप से कमजोर हो गए थे अब इजरायल की असंगत और समान रूप से क्रूर प्रतिक्रिया से अब हम सभी कमजोर पड़ गए हैं।” सोनिया गांधी आगे लिखती हैं कि हमास के किए का अंजाम आम फिलिस्तीनी क्यों भुगत रहे हैं, यह सरासर गलत है।
सोनिया गांधी ने आगे लिखा,” न्याय के बिना शांति नहीं हो सकती. डेढ़ दशक से ज्यादा समय से इजरायल की निरंतर नाकाबंदी ने गाजा को घने शहरों और शरणार्थी शिविरों में बंद अपने दो मिलियन निवासियों के लिए खुली हवा वाली जेल में बदल दिया है।” कांग्रेस नेता ने इजरायली कब्जे और फिलिस्तीनी नागरिकों को उनके अपने घर, जमीन से बेदखल किए जाने का मामला भी अपने लेख में उठाया है। सोनिया गांधी ने लिखा, “भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सालों से अपने विश्वास पर कायम रही है कि फिलिस्तीनियों और इजरायलियों दोनों को न्यायपूर्ण शांति से रहने का अधिकार है। हम इजरायल के लोगों के साथ अपनी दोस्ती को महत्व देते हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम अपनी यादों से फिलिस्तीनियों को सदियों से उनकी मातृभूमि से जबरन बेदखल करने के दर्दनाक इतिहास और सम्मान और आत्मसम्मान के जीवन के उनके मूल अधिकार के वर्षों के दमन को मिटा दें।सोनिया गांधी ने युद्ध विराम को लेकर यूएन की वोटिंग में भारत के शामिल नहीं होने पर भी विरोध जाताया है।
सोनिया गांधी ने लिखा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि कई प्रभावशाली देश पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण व्यवहार कर रहे हैं जबकि उन्हें युद्ध समाप्त करने के लिए हरसंभव प्रयास करना चाहिए। सबसे ऊँची और सबसे शक्तिशाली आवाज़ें सैन्य गतिविधि की समाप्ति के लिए होनी चाहिए। अन्यथा, यह चक्र जारी रहेगा और आने वाले लंबे समय तक इस क्षेत्र में किसी के लिए भी शांति से रहना मुश्किल हो जाएगा।