सुप्रीम कोर्ट दिल्ली शराब घोटाला मामले में सोमवार को दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की जमानत याचिका पर अपना फैसला सुनाने वाला है। जस्टिस संजीव खन्ना और एसवीएन भट्टी की पीठ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा मनीष सिसोदिया के खिलाफ जांच किए जा रहे मामलों पर फैसला सुनाएगी। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर दिल्ली शराब नीति मामले में CBI और ED से कई सवाल पूछे थे। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई पूरी होने पर 17 अक्टूबर को मनीष सिसोदिया की जमानत पर फैसला सुरक्षित रखा था। मनीष सिसोदिया फरवरी से जेल में हैं और आम आदमी पार्टी (AAP) लगातार उनकी रिहाई की मांग करती रही है।
मनीष सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट से पहले हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया था। हाईकोर्ट ने उनकी याचिका को खारिज कर दिया था। अब मनीष सिसोदिया ने हाईकोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान इस बात पर भी जोर दिया कि किसी व्यक्ति को अनिश्चित काल तक सलाखों के पीछे नहीं रखा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने ईडी से पूछा कि संबंधित राजनीतिक दल जो कथित तौर पर पॉलिसी का लाभार्थी था को आरोपी के रूप में क्यों नहीं जोड़ा गया है?
जस्टिस संजीव खन्ना ने अडिशनल सॉलिसिटर जनरल से सवाल किया कि अगर रिश्वतखोरी के मामले में अपराध के संकेत नहीं है तो फिर पीएमएलए का केस साबित करना मुश्किल है। सिसौदिया की ओर से दलील दी गई कि पीएमएलए के तहत सीबीआई के मामले में उनके खिलाफ रिश्वतखोरी का कोई आरोप नहीं है।
यह भी बताया गया कि जब मुकदमा अभी शुरू नहीं हुआ है तो 500 गवाहों और 50,000 से अधिक दस्तावेजों के साथ सिसोदिया को सलाखों के पीछे नहीं रखा जा सकता है। उनके वकील ने कहा कि ईडी का यह दावा करना गलत है कि शराब नीति के कारण कीमतें बढ़ीं। बल्कि, उन्होंने कहा, ग्राहकों को दी जाने वाली कीमतें कम हो गईं। सीबीआई और ईडी ने दावा किया है कि सिसोदिया साजिश के मुख्य आरोप थे वह इसके जिम्मेदार हैं। आज यह देखना अहम होगा कि सुप्रीम कोर्ट से इस मामले पर क्या फैसला सुनाती है।