केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह का कहना है कि 2014 के बाद हुए चुनावों के माहौल का अध्ययन करें तो मतदाताओं के सामने हिंदू-मुसलिम की शुरुआत विपक्ष करता है। समाज का मिजाज देख कर ‘इंडी गठबंधन’ के स्टालिन अलग राग अलापने लगे। उनका आरोप है कि विपक्ष आतंकवादियों के साथ की भाषा बोलता है और ‘सर तन से जुदा’ नारे लगाने वालों के साथ दिखता है। बिहार के संदर्भ में उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार के पास कोई राजनीतिक पूंजी नहीं बची है। वे दूसरे के पैरों पर खड़े हैं। उनके पास किसी तरह की विश्वसनीयता नहीं है। दक्षिण से हुए सनातन पर वैचारिक हमले के बाद नई दिल्ली में जनसत्ता के कार्यकारी संपादक मुकेश भारद्वाज के साथ विशेष भेंट में गिरिराज सिंह की सनातन पर दो टूक।
मुकेश भारद्वाज- सवाल की शुरुआत आपके विभाग के सबसे अहम स्तंभ के साथ, यानी मनरेगा। यूपीए के शासनकाल में भाजपा इस योजना को सबसे ज्यादा कोसती थी। अभी बातचीत शुरू करने की भूमिका में आपने मनरेगा पर सबसे ज्यादा जोर दिया। तो केंद्रीय सत्ता में आने के बाद मनरेगा को लेकर सोच कैसे बदली?
गिरिराज सिंह- कोई योजना गलत नहीं होती, उसका कार्यान्यवयन गलत होता है। जिन्हें काम नहीं मिला, उन्हें रोजगार देने का अवसर था। यूपीए के समय कोई पारदर्शिता नहीं थी। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि आज हम 99 फीसद प्रत्यक्ष बैंक हस्तांतरण (डीबीटी) कर रहे हैं मनरेगा में। आज 97.2 फीसद को आधार से जोड़ दिया है। यह पारदर्शिता है। यूपीए के समय आधार लिंक नहीं था। डीबीटी नहीं के बराबर था। इसमें महिलाओं की भागीदारी को 55 फीसद तक ले आए। किसी समय कांग्रेस में एक परिभाषा चलती थी, ‘खाता ना बही, जो सीताराम केसरी कहे, वही सही’। वही आंगनबाड़ी था। पैसे निकाल कर दिए जाते थे कि किनके ठप्पे लगे, किनके नहीं लगे। भाजपा का विरोध व्यवस्था पर था।
कांग्रेस ने इसे दुधारू गाय बना कर रखा था। भाजपा ने पारदर्शिता के साथ लागू कर इसे लाभकारी बनाया। अभी हम उपस्थिति के लिए ‘नेशनल मोबाइल मानीटरिंग सिस्टम’ लगा रहे हैं। उस पर भी कांग्रेस ने आपत्ति जताई। हमने पारदर्शिता के लिए हर कदम उठाया। हम अभी निजी भूमि पर वृक्षारोपण की योजना ला रहे हैं। किसानों को अच्छे फलदार पेड़ देने की योजना है। तो इससे संपत्ति का निर्माण हो रहा है। 2014 के पहले देखिए कि कितने पौधों का पैसा गया और जमीन पर कितने वृक्ष हैं। कुछ है ही नहीं। हम हितधारकों के लिए संपत्ति पैदा कर रहे हैं।
हम मजदूरों की भी जियो टैगिंग कर रहे हैं और उनकी उपस्थिति की भी। इस पर भी आपत्ति जताई जा रही है। योजना को ‘आधार’ आधारित किया जा रहा है, उस पर भी कांग्रेस आपत्ति जता रही है। मैं स्वीकारता हूं कि पहले हम उनकी व्यवस्था और कार्यप्रणाली के विरोधी थे। हमने योजना को पूरी तरह पारदर्शी बना दिया है कि किसी गड़बड़ी की कोई गुंजाइश ही नहीं रहे।
मुकेश भारद्वाज- प्रधानमंत्री आवास योजना की बात करें तो आंकड़ों के हिसाब से आप 35 फीसद के लक्ष्य तक ही पहुंचे हैं। इसे मंजिल अभी दूर है कहा जा सकता है?
गिरिराज सिंह- नहीं, नहीं बिलकुल नहीं। 2016 में उसके पहले हम इंदिरा आवास को बना रहे थे। 74 लाख आवास हमने बनाया 2014-2015 में। सबको आवास देना है। उसमें हमने 2011 की जो जनगणना है उसको लिया तो चार करोड़ तीन लाख घर निकले। फिर राज्यों ने कहा ये पात्र नहीं अपात्र हैं और अंत मे दो करोड़ 95 लाख घर थे। 2,95,00,000 घरों को कैबिनेट से स्वीकृति दी। क्योंकि राज्यों ने वही दिया चार करोड़ तीन लाख अंतिम रिपोर्ट पर। 2018 का समय लग गया राज्यों को अपने यहां नवीनीकरण करने में। हमारे हाथ में तो कुछ है नहीं, राज्यों के हाथ में है।
राज्यों ने नवीनीकरण करते-करते 2018-19 तक पहुंचाया। आज की तारीख में दो करोड़ 46 लाख घर हम बना चुके हैं। केवल 35,000 मकान हम पात्रों को सौंप नहीं सके हैं। दो करोड़ 46 लाख बना चुके हैं। तो हमारा कहां बचा हुआ है? 35 फीसद का यह आंकड़ा गलत है। जहां से भी आपने आंकड़ा निकाला है उसे नई संख्या के साथ अद्यतन कर दिया जाएगा। विभागों के आंकड़ों का विरोधाभास है। अद्यतन यही है कि हम दो करोड़ 46 लाख मकान बना चुके हैं। हमें 2024 तक दो करोड़ 95 लाख बना करके देश के सामने रख देना है।
मुकेश भारद्वाज- लखपती दीदी योजना में पचास लाख अभी जुड़ने हैं। डेढ़ करोड़ हो गया है। अब तो आपके पास समय काफी कम है?
गिरिराज सिंह- ढाई करोड़ महिलाओं का जो आठ हजार से ऊपर कमा रही हैं का आंकड़ा है। जो आज आठ हजार आया है, वही तो दस हजार पर जाएगा। तो मैं उनको बढ़ावा दे रहा हूं। मैं उस पर आपको बता दूंगा कि 2024 मार्च के पहले हम ढाई करोड़ का लक्ष्य पूरा करेंगे। इसके लिए नए क्षेत्रों का विस्तार भी करेंगे। दिसंबर में जब हम कभी मिलेंगे तो लगता है कि मैं शायद आशान्वित रहूंगा। इस योजना को लेकर मैं इतने भरोसे से इसलिए कह रहा हूं कि हमें पूरा भरोसा है कि 2024 में हम ही आएंगे। नरेंद्र मोदी ही 2024 में देश के प्रधानमंत्री बनेंगे।
2029 तक दस करोड़ महिलाओं को जब लखपती बनाएंगे तो आने वाले दिन में, आपको पता चलेगा की महिलाओं की श्रम-शक्ति में कितनी वृद्धि हुई है। भारत की जीडीपी में महिलाओं का अमूल्य योगदान होगा। अभी कोई विभाग ऐसा नहीं है जिसका एनपीए 1.7 हो। ये गांव की महिलाओं के लिए मोदी जी के ‘ई-गवर्नेंस’ महत्त्वपूर्ण योगदान है। महिला सशक्तिकरण के संदर्भ में इस योजना ने पूरे परिदृश्य को बदल दिया है। देश की महिलाएं मजबूत हुई हैं।
मुकेश भारद्वाज- आप भाजपा के सितारा प्रचारक हैं, तो आपकी कही बात को कतई नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है। आपने पिछले सवाल का जवाब देते हुए दावा किया कि आपको भरोसा है कि 2024 में सत्ता में भाजपा की वापसी होगी। मैं जानना चाहता हूं कि इस विश्वास का आधार क्या है? हिमाचल, कर्नाटक में आप नहीं रहे, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में जमीनी हालात इशारा कर रहे कि वहां भाजपा नहीं होगी। राजस्थान में कड़े मुकाबले के आसार हैं। फिर वापसी के भरोसे का आधार क्या है?
गिरिराज सिंह- विश्वास का आधार है देश में मोदी की विश्वसनीयता। विश्वास का आधार है देश में कम हो रही गरीबों की संख्या। एक छोटा सा उदाहरण दे रहा हूं। शहरी आबादी 45 करोड़ है। उसमें ढाई फीसद रेहड़ी-पटरी वाले हैं। जो ‘स्वनिधि’ का कार्यक्रम है, अपने आप में एक सामाजिक परिवर्तन का कार्यक्रम है। वापसी के विश्वास का आधार है मजदूरों व गरीबों की सुधरती दशा। समाज में हो रहे परिवर्तन का फायदा सभी वर्गों को हो रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। आज आप सर्वेक्षण कर लीजिए कि देश का प्रधानमंत्री कौन बनेग? गांव में लोग खुद बोलेंगे-नरेंद्र मोदी।
मेरे विभाग की ही बात करें तो मनरेगा में ‘उन्नति’ योजना शुरू की है हमने। योजना बहुत छोटी है। जिसके सौ दिन पूरे हो गए, उसे हम 200 दिनों का ‘स्टाइपन’ मजदूरी दर के साथ देते हैं। तो उनके लिए आजीविका की निरंतरता उपलब्ध करवाई। उनकी सतत आजीविका के लिए प्रशिक्षण दिलवाया। वित्तीय मदद मुहैया करवाई गई। देश में चौतरफा विकास हो रहा है। गरीबों, किसानों, मजदूरों की ताकत बढ़ रही है। किसी सरकार के लिए इससे बड़ी ताकत और क्या होती है? शहरी हो या ग्रामीण समाज का पूरा वर्ग हमारे साथ है। राजनीतिक रूप से तो मैं यही कहूंगा कि तीनों अहम राज्यों में हम वापस आ रहे हैं। खास कर दो राज्यों के बारे में पूरा भरोसा है। नतीजे आने दीजिए, फिर बात होगी।
मुकेश भारद्वाज-आपके विभाग को मैं राजनीतिक रूप से अहम इसलिए मानता हूं कि भाजपा का जनाधार मुख्यत: शहरी क्षेत्रों में माना जाता रहा है। ग्रामीण इलाकों में पहुंचने की पार्टी ने भरपूर कोशिश की है। क्या आपको लगता है कि गांवों के देश कहे जाने वाले भारत में भाजपा ग्रामीण इलाकों में पकड़ बना चुकी है? जनकल्याणकारी योजनाएं तो हर सरकार के पास होती है और अच्छी ही होती है। क्या आपकी जनकल्याणकारी योजनाओं की पहुंच अंतिम जन तक हो रही है?
गिरिराज सिंह- भाजपा को जो शहरी पार्टी भर बता कर खारिज करते हैं, शायद वे खुद कभी गांव नहीं गए हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में चल रही हर योजना का प्रत्यक्ष बैंक हस्तांतरण हो रहा है। मैं यह दावा नहीं करता कि डीबीटी को लेकर दबंगों की दबंगई शून्य फीसद हो गई है। वो कहीं अभी भी सामने आ जाता है, आ जाएगा। उनसे जबरदस्ती पैसा ले लिया जाता होगा। लेकिन, समाज में इतनी जागरूकता आ गई है कि किसी के खाते में पैसा चला जाए तो उसकी जानकारी होगी, वह दरियाफ्त करेगा। एक जालसाजी तो मेरे ही जिले में हुई। एक राजमिस्त्री के खाते में पैसा चला गया मनरेगा का। उसका खाता कहां से आ गया? राजमिस्त्री ने ही इस बाबत शिकायत की और छानबीन हुई। जालसाजी है तो उसे रोकने के लिए तंत्र भी स्थापित हो चुका है। हमारी कोशिश है कि किसी भी योजना में किसी तरह की धांधली न हो।
मुकेश भारद्वाज- ऐसे मामलों की कानूनी जांच स्थिति क्या होती है? कितने लोग पकड़े जाते हैं ऐसे जालसाजी की शिकायतों में?
गिरिराज सिंह- शिकायत हो रही है तो कार्रवाई भी हो रही है। पकड़े तो जा रहे हैं। मैं यह नहीं कहूंगा की फीसद में यह आंकड़ा कितने का है। अब एक उदाहरण पर गौर कीजिए। हमारा विभाग वृद्धा पेंशन देता है। जहां तक पेंशन की बात है तो वृद्धा पेंशन, दिव्यांगत पेंशन यह सारे के सारे भारत सरकार ही देती है। यूपीए सरकार से तुलना करेंगे तो हम वृद्धा पेंशन में भी आगे हैं।
लेकिन यहां पर कह दिया जाता है कि वृद्धा पेंशन पर तो राज्य अपनी दावेदारी करता है। तो हमारी यहां पर सीमा है कि हम संघीय ढांचे में काम कर रहे हैं। हमारे विभाग की योजनाओं पर कई राज्य अपना नाम थोप देते हैं। अभी मैं आंध्र प्रदेश गया था तो देखा, वहां प्रधानमंत्री आवास के बदले ‘अपना आवास’ है। बंगाल में प्रधानमंत्री आवास के बदले ‘बांग्ला आवास’। इसी तरह से तेलंगाना ने भी किया। कई राज्य ऐसा कर देते हैं। इस तरह की भी शिकायत होती है। किसी भी तरह की अनियमितता की शिकायत होती है तो उस पर कार्रवाई की जाती है।
मुकेश भारद्वाज-जनकल्याणकारी योजनाओं के संदर्भ में गैर भाजपा शासित राज्यों को किस तरह देखते हैं?
गिरिराज सिंह- मैं वही बोलता हूं जो महसूस करता हूं। नरेंद्र मोदी ने देश की राजनीति की दशा और दिशा बदल दी है। उनके आगे कोई टिक नहीं सकता। उन्होंने पूरे देश के स्तर पर इतनी मेहनत की है कि दुनिया की कोई ताकत उन्हें देश का अगला प्रधानमंत्री बनने से रोक नहीं सकती। अगर नरेंद्र मोदी देश के शासन में दस साल और रह गए तो यहां की जमीन से वामपंथी हमेशा के लिए खत्म हो जाएंगे। मोदी जी ने सही अर्थों में कमजोर तबके को मजबूत किया है। केरल में वामपंथ की सरकार सिर्फ लोकलुभावन योजनाओं की वजह से चल रही है, लेकिन वहां असल हालत बहुत बुरी है।
हम जब विभाग की तरफ से गए तो लोगों ने कहा कि स्वयं सहायता समूह का अगुआ है केरल। सेल्फ हेल्प ग्रुप का लीडर है केरल। वहां जिसे ‘एसजी’ बोलते हैं उसके काम को सबसे बढ़िया बताया जाता है। उनके ‘मिनिस्टर सेक्रेटरी’ आए थे तो उन्होंने बताया कि दो करोड़ रुपया टर्नओवर है एक सेल्फ हेल्प ग्रुप का। मैंने कहा की आपके यहां 45-50 लाख हाउस होल्ड है, इसमें कितनी बहनें लखपती हैं। पता चला देश का निम्नतम केरल में है यानी 3.2 फीसद। केरल एक तरह का लोकलुभावन योजनाओं का राजा है। अगर केरल में बाहर के पैसे न आएं तो केरल से ज्यादा घाटे में कोई राज्य न हो।
मुकेश भारद्वाज– पहले लड़ाई थी नरेंद्र मोदी बनाम संपूर्ण विपक्ष की। अब लड़ाई है सनातन बनाम संपूर्ण विपक्ष की। सनातन के खिलाफ एक मुहिम शुरू हुई है। इस मुद्दे को आप कैसे देखते हैं?
गिरिराज सिंह-लड़ाई बदली नहीं है। अभी भी यह लड़ाई नरेंद्र मोदी बनाम सबकी है। सनातन को तो ‘इंडी गठबंधन’ ने गालियां देना शुरू किया। जब समाज का मिजाज देख लिया तो तमिलनाडु से स्टालिन ने अलग राह पकड़ ली। आज सनातन को ही लोग गाली दे रहे हैं, लेकिन लड़ाई मोदी बनाम सब में है। सभी एक तराजू पर बैठे हैं। देश का दुर्भाग्य है कि प्रधानमंत्री के उम्मीदवार तो कई हैं। एक दर्जन से ज्यादा। लेकिन देश का नेता ‘इंडी गठबंधन’ में कोई नहीं है। नरेंद्र मोदी ही देश के नेता हैं।
मुकेश भारद्वाज-आपके गृह-प्रदेश बिहार के बारे में कहा जाता है कि वहां से ही बदलाव की आवाज आती है। वहां अब भी नीतीश कुमार चाणक्य की भूमिका में सक्रिय हैं। क्या लगता है आपको इस बार परिवर्तन होगा वहां?
गिरिराज सिंह- दो सौ फीसद। नीतीश कुमार अभी हताशा में चल रहे हैं। नीतीश कुमार को नीतीश कुमार बनाने वाली भारतीय जनता पार्टी है। दो उदाहरण मैं दूंगा। नीतीश कुमार 2010 में 115 सीट जीते थे और 2020 में एनडीए के साथ ही 43 सीट पर आ गए हैं। यह विश्वसनीयता गिरी है कि बढ़ी है? हम 2010 में 91 थे अभी 74 हैं। तो विश्वसनीयता गिरी कि उनकी बढ़ी है। आज उनके पास किसी तरह की कोई राजनीतिक पूंजी नहीं है। वे ऐसी ‘अमरलता’ हैं जिसकी अपनी कोई जड़ नहीं होती है। नीतीश कुमार देश के पहले मुख्यमंत्री हैं जो 18-19 साल मुख्यमंत्री रह कर अपने पैरों पर कभी खड़े नहीं हो पाए। उनका कोई आधार नहीं है।
मुकेश भारद्वाज– भाजपा के पास स्थानीय नेताओं का बहुत संकट दिखता है। कहीं भी आप क्षेत्रीय नेता को प्रचारित नहीं करते हैं। मुख्यमंत्री के स्तर पर तो कर देते हैं। बिहार में भी यही स्थिति है?
गिरिराज सिंह- नेतृत्व की ऐसी कोई संकट की स्थिति नहीं है। हमारे यहां क्षेत्रीय नेता भी हैं और क्षेत्रीय मतदाता भी हैं। 2024 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी बेहतर प्रदर्शन करेगी पिछले चुनाव की तुलना में।
मुकेश भारद्वाज-आप बेगूसराय सीट से अगला चुनाव लड़ेंगे?
गिरिराज सिंह- हम लड़ेंगे, नहीं लड़ेंगे यह तो समय बताएगा।
मुकेश भारद्वाज– पिछले विधानसभा चुनाव में आप अपनी सीट बदलने से नाराज हो गए थे?
गिरिराज सिंह- इसीलिए मैं कह रहा हूँ कि मैं क्या करूंगा ये तो पार्टी जाने। मैं चुनाव लड़ूं या न लड़ूं। कहां से लड़ूं क्या करूं ये मुझे भी नहीं मालूम है।
मुकेश भारद्वाज-भाजपा पर आरोप लगता है कि वह चुनाव में हिंदू-मुसलमान का माहौल बनाती है जिससे बेरोजगारी और महंगाई जैसे मुद्दे पीछे चले जाते हैं।
गिरिराज सिंह- मैं आपसे ये कहता हूं कि दो-तीन चुनाव को उलट कर देखें। किस ने हिंदू-मुसलमान किया, भारतीय जनता पार्टी ने शुरुआत की या विपक्ष ने शुरुआत की? जब से नरेंद्र मोदी आए हंै, 2014 के बाद से आप देख लें कि इसकी शुरुआत विपक्ष करता है। विपक्ष ही मूल बुनियादी मुद्दों से भाग जाता है और चुनाव का ध्रुवीकरण करता है। अभी का ही देख लीजिए। सनातन की शुरुआत किसने की? आप हमको कह रहे हैं? हिंदू-मुसलिम कौन करता? आज देखिए न कि आतंकवादियों का समर्थन कौन करता है। सर, तन से जुदा के नारे कौन देता? इस तरह के नारे क्या भारतीय जनता पार्टी देती है? भारतीय जनता पार्टी तो नहीं देती। ये सब नारे विपक्षी दल देते हैं और फिर गिरराज सिंह जैसे लोगों के मत्थे पर अपनी हांडी फोड़ देते हैं।
मुकेश भारद्वाज-आपको कोई समस्या नहीं मुसलमानों को साथ लेकर चलने में?
गिरिराज सिंह- क्यों होगी कोई समस्या? मैं फिर कहता हूं, ये हिंदू-मुसलमान विपक्ष करता है।
प्रस्तुति : मृणाल वल्लरी
विशेष सहयोग: सुशील राघव