उत्तर प्रदेश के अयोध्या में बन रहे भव्य राम मंदिर का अगले साल 22 जनवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उद्घाटन करेंगे। प्राण प्रतिष्ठा के बाद श्रद्धालुओं के लिए इसे खोल दिया जाएगा। वहीं दूसरी ओर धन्नीपुर में अभी तक मस्जिद का निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है, जिसे लेकर मुस्लिम समुदाय में नाराजगी है। इंडियन मुस्लिम लीग के अध्यक्ष मोहम्मद इस्माइल अंसारी ने पीएम मोदी से गुजारिश की है कि मस्जिद का जो निर्माण रुका हुआ है उसे आगे बढ़ा दें।
वहीं, दूसरी ओर जमीयत ने कहा है कि प्रधानमंत्री को किसी धार्मिक समारोह में शामिल नहीं होना चाहिए। प्रमुख मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने शुक्रवार को कहा कि पीएम मोदी को अयोध्या या किसी भी स्थान पर आयोजित होने वाले धार्मिक समारोह में शामिल नहीं होना चाहिए। मौलाना महमूद मदनी के नेतृत्व वाले जमीयत ने यह टिप्पणी उस समय की है, जब ‘श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास’ ने बुधवार को प्रधानमंत्री मोदी को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण-प्रतिष्ठा समारोह के लिए निमंत्रित किया। समारोह 22 जनवरी को होने की उम्मीद है।
जमीयत की ओर से जारी बयान में महमूद मदनी ने कहा, ‘‘हम स्पष्ट रूप से यह कहना चाहते हैं कि अयोध्या विवाद में सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला लिया था, हम उसको सही नहीं मानते हैं। फैसले के तुरंत बाद हमने अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी थी कि यह गलत माहौल में और गलत सिद्धांतों के आधार पर दिया गया है, जो कानूनी और ऐतिहासिक तथ्यों के भी विरुद्ध है।’’
मदनी ने कहा, ‘‘ऐसे में देश के प्रधानमंत्री को किसी भी पूजा स्थल के समारोह के लिए बिल्कुल नहीं जाना चाहिए। धार्मिक अनुष्ठान राजनीतिक हस्तक्षेप से मुक्त हों और धार्मिक लोगों द्वारा ही किए जाने चाहिए।’’ उन्होंने अपने संगठन के पदाधिकारियों को गैर जिम्मेदाराना बयान नहीं देने की नसीहत दी। दरअसल, जमीयत के एक पदाधिकारी ने कहा था कि पीएम मोदी को अयोध्या में मस्जिद के उद्घाटन कार्यक्रम में भी शामिल होना चाहिए।
बाबरी मस्जिद के मुख्य पक्षकार रहे इकबाल अंसारी ने मस्जिद निर्माण में हो रही देरी के लिए मस्जिद ट्रस्ट को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि सरकार ने तो जमीन दे दी लेकिन ट्रस्टियों ने उसे अपनी संपत्ति समझ लिया और कोई काम आजतक शुरू नहीं किया है। अंसारी ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण कार्य अंतिम चरण में है और प्रधानमंत्री प्राण प्रतिष्ठा के लिए भी आ रहे हैं, लेकिन मस्जिद के लिए कोई एक ईंट भी रखने को तैयार नहीं है।