Rajasthan Election 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले सूबे में एक बार फिर से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एंट्री हो चुकी है। ईडी ने गुरुवार को राजस्थान कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और निर्दलीय विधायक ओम प्रकाश हुडला, जिन्हें इस बार कांग्रेस ने मैदान में उतारा है। इन दोनों नेताओं के ठिकाने पर ईडी ने छापेमारी की। इस छापेमारी के साथ अशोक गहलोत के करीबियों की संख्या बढ़कर 10 के करीब यानी 9 पहुंच गई है।
जांच एजेंसी की कार्रवाई के बाद अशोक गहलोत और कांग्रेस ने भाजपा पर केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया है, जबकि भाजपा ने आरोप को “निराधार” बताया। राजस्थान बीजेपी के मुख्य प्रवक्ता रामलाल शर्मा ने कहा, ‘अशोक गहलोत के पास दो कानून हैं। एक ‘भारतीय दंड संहिता’ है, जिसका वह पालन नहीं करना चाहते हैं और दूसरा है ‘गहलोत दंड संहिता’, जहां वह बिना जांच के किसी निष्कर्ष पर पहुंचते हैं और क्लीन चिट दे देते हैं।’
जोधपुर में अग्रसेन से जुड़े परिसरों पर जुलाई 2020 में छापेमारी की गई थी। उस वक्त जब गहलोत सरकार अपने प्रतिद्वंद्वी सचिन पायलट द्वारा किए गए विद्रोह के बाद खुद को मजबूत (जीवित) करने की कोशिश कर रही थी। ईडी ने खनिज-उर्वरकों के आयात में एक कथित घोटाले के तहत देशव्यापी छापेमारी की थी। जिसे बाद में किसानों को रियायती दरों दे दिया गया। परिसर की तलाशी में अग्रसेन की कंपनी अनुपम कृषि की कई संपत्तियों का पता चला था। कांग्रेस ने जुलाई 2020 में राजस्थान कांग्रेस विद्रोह में बीजेपी का हाथ होने का आरोप लगाया था।
ईडी अधिकारियों के अनुसार, 2007 और 2009 के बीच, एक अधिकृत उर्वरक विक्रेता अग्रसेन ने इसे रियायती दरों पर खरीदा और किसानों के बजाय कंपनियों को बेच दिया। कंपनियों ने कथित तौर पर उर्वरकों को औद्योगिक साल्ट के रूप में मलेशिया और सिंगापुर को एक्सपोर्ट किया।
अग्रसेन के करीबी सूत्रों ने आरोपों से इनकार किया और कहा कि कंपनियों ने कानून का उल्लंघन किया है और उन्हें निर्यात के बारे में कोई जानकारी नहीं है। जून 2022 में इस मामले में अग्रसैन की संपत्तियों पर फिर से सीबीआई द्वारा छापा मारा गया।
जुलाई 2020 के संकट के दौरान उनका नाम भी केंद्रीय एजेंसियों की जांच के दायरे में आया, जब आयकर (आईटी) विभाग ने दो फर्मों – मयंक शर्मा एंटरप्राइजेज (MSE) और ओम कोठारी ग्रुप के नौ कार्यालयों की तलाशी ली। MSE का स्वामित्व रतन कांत शर्मा के परिवार के पास है, जिन्होंने मार्च 2011 में वैभव की कंपनी सनलाइट कार रेंटल्स प्राइवेट लिमिटेड में आधे शेयर हासिल कर लिए थे और 31 मार्च 2016 तक इसके शेयरधारक बने रहे।
MSE जयपुर में लक्जरी होटल ली मेरिडियन चलाता है। शर्मा ट्राइटन होटल्स एंड रिसॉर्ट्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रमोटर भी हैं, जो जयपुर के बाहरी इलाके में एक लक्जरी होटल फेयरमोंट चलाता है, जिस पर ईडी ने भी छापा मारा था और जहां वैभव कथित तौर पर एक बार कार्यरत थे। जैसा कि गुरुवार को गहलोत ने खुलासा किया कि वैभव को अब कथित तौर पर उसी मामले के संबंध में विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत ईडी द्वारा समन मिला है।
कथित मिड-डे मील घोटाले के सिलसिले में आईटी और ईडी दोनों ने राजेंद्र सिंह यादव के परिसरों पर छापा मारा है। यह घोटाला कोविड महामारी के दौरान राजस्थान में मिड-डे मील में कथित अनियमितताओं से संबंधित है, जिसमें राजेंद्र सिंह यादव के बेटों द्वारा संचालित कंपनियां कथित तौर पर कुछ सामग्रियों की आपूर्ति कर रही थीं। जहां आईटी छापे सितंबर 2022 में मारे गए थे, वहीं ईडी छापे पिछले महीने पड़े।
हालांकि, यादव ने आरोपों से इनकार किया है। उन्होंने कहा, ‘अब यदि कोई केंद्रीय एजेंसी (किसी फर्म से) अधिक महंगी या सस्ती कीमत पर सामग्री खरीदती है या कोई घोटाला करती है, तो तीसरे पक्ष का इससे क्या लेना-देना है?” उन्होंने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, ‘मेरे बच्चे कच्चे माल की आपूर्ति करते रहते हैं, लेकिन इससे उन्हें क्या फर्क पड़ता है कि कोई उनसे भठूरे बनाता है? अगर कोई हलवाई से मिठाई लेता है और फिर उसे भैंस या इंसान को खिला देता है, तो इससे हलवाई को क्या फर्क पड़ता है?”
इसके बाद गहलोत के करीबी धर्मेंद्र राठौड़ के खिलाफ पहली बार 2020 के संकट के दौरान कार्रवाई देखी गई, जब आईटी ने उनके कार्यालयों और संपत्तियों पर छापा मारा। फरवरी 2022 में सीएम के सहयोगी राठौड़ को राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था। 17 मई, 2022 को जयपुर में राठौड़ द्वारा आयोजित आजादी गौरव यात्रा के बारे में पत्रकारों से बात करते हुए गहलोत ने कहा था, ‘ये भी मशहूर हो गए, इनके यहां भी छापा पड़ गया।’
आम्रपाली ज्वेल्स के संस्थापक और मालिक अरोड़ा भी 2020 के संकट के दौरान आईटी की रडार पर आए। अरोड़ा को राजस्थान में कांग्रेस के दिग्गज नेताओं में शुमार किया जाता है। वह राजस्थान में एनएसयूआई के संस्थापक सदस्यों में से हैं और कांग्रेस के पूर्व उपाध्यक्ष हैं। उन्होंने कांग्रेस सरकारों में भी विभिन्न भूमिकाओं में काम किया है और वर्तमान में राजस्थान लघु उद्योग निगम के अध्यक्ष हैं।
लोकेश शर्मा को 2021 में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह द्वारा टेलीफोन बातचीत को “गैरकानूनी रूप से इंटरसेप्ट करने” के आरोप में दर्ज कराई गई एफआईआर का सामना करना पड़ा था, जिसके संबंध में दिल्ली पुलिस ने उन्हें कई बार समन जारी किया। अब तक वह पांच बार पेश हो चुके हैं, जबकि मामले की सुनवाई दिल्ली हाई कोर्ट में चल रही है।
इंडियन एक्सप्रेस ने मार्च 2021 में रिपोर्ट दी थी कि सरकार ने स्वीकार कर लिया है कि जुलाई 2020 के संकट के दौरान फोन टैप किए गए थे। विपक्ष ने आरोप लगाया है कि इसमें शर्मा का हाथ था और उन्होंने संबंधित वॉयस क्लिप प्रसारित किए थे।
उनका बचाव करते हुए संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने विधानसभा में बहस के दौरान कहा था, ‘अगर लोकेश शर्मा को कुछ मिलता है और वह उसे व्हाट्सएप ग्रुप पर फॉरवर्ड कर देते हैं, तो उन्होंने कौन सा पाप किया है? क्या आप भी ऐसा नहीं करते? और उनको क्यों नहीं भेजना चाहिए?…आप कहते हैं कि उन्होंने इसे वायरल किया है, उसे इसे वायरल क्यों नहीं करना चाहिए? आप कहते हैं कि लोकेश शर्मा ने क्लिपिंग बनाई है। क्या इसका कोई प्रमाण है आपके पास, अगर है तो प्रस्तुत करो।’
10 अक्टूबर को नई दौर की पूछताछ के बाद शर्मा ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा था कि मैंने हमेशा कहा है कि फोन टैपिंग मुद्दे से मेरा कोई सीधा संबंध नहीं है। मुझे सोशल मीडिया के माध्यम से ऑडियो क्लिप प्राप्त हुए और उन्हें प्रसारित किया गया, क्योंकि बातचीत में एक चुनी हुई सरकार को गिराने की साजिश थी।
2020 के संकट के दौरान गहलोत के आदमी माने जाने वाले महेश जोशी भी रडार पर आए। नवंबर 2021 में उन्हें कैबिनेट मंत्री के रूप में पदोन्नत किया गया। 2021 में जोशी को शेखावत की एफआईआर के संबंध में दिल्ली पुलिस ने तलब किया था, लेकिन उन्होंने इसे छोड़ दिया। पिछले साल उनके बेटे रोहित के खिलाफ कथित बलात्कार मामले में एफआईआर दर्ज की गई थी।
जयपुर की एक महिला ने अपनी एफआईआर में रोहित पर 8 जनवरी, 2021 से 17 अप्रैल, 2022 के बीच कई मौकों पर बलात्कार करने का आरोप लगाया था। एफआईआर को रद्द करने के लिए उच्च न्यायालय में उनके द्वारा दायर एक याचिका में कहा गया है कि उनका रिश्ता “सहमति से” था। और वह उनको “ब्लैकमेल” कर रही थी।
गुरुवार को ईडी ने डोटासरा और कांग्रेस से टिकट पाने वाले हुडला से जुड़े ठिकानों पर छापेमारी के लिए पहुंची। इसके तुरंत बाद गहलोत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किया कि डोटासरा के खिलाफ ईडी की कार्रवाई और उनके बेटे को समन उनकी सरकार द्वारा चुनाव अभियान के तहत महिलाओं के लिए गारंटी की घोषणा के ठीक एक दिन बाद आया है।
हालांकि ईडी की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन कहा जा रहा है कि डोटासरा और हुडला पर छापेमारी क्रमश: पेपर लीक और सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग विभाग (पीएचईडी) घोटाले के सिलसिले में की गई है। यह पहली बार है जब दोनों पर छापेमारी की गई है।
यह मामला 21, 22 और 24 दिसंबर, 2022 को राजस्थान लोक सेवा आयोग (आरपीएससी) द्वारा आयोजित एक परीक्षा के पेपर के लीक होने से संबंधित है। अब तक इस मामले में कई गिरफ्तारियां हुई हैं और करोड़ों की संपत्ति और नकदी जब्त और कुर्क की गई है। वहीं पीएचईडी मामला जल जीवन मिशन में कथित अनियमितताओं से संबंधित है।
डोटासरा और हुडला दोनों अपनी-अपनी सीटों क्रमश: सीकर के लक्ष्मणगढ़ और दौसा के महवा से चुनाव लड़ रहे हैं। हाल ही में एक सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए अशोकर गहलोत ने जनता से हुडला को वोट देने की अपील की थी।