लॉ कमीशन ने बुधवार को पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के नेतृत्व वाले पैनल के साथ ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर चर्चा की। इस दौरान आयोग के अध्यक्ष न्यायमूर्ति ऋतुराज अवस्थी ने एक साथ चुनाव कराने के रोडमैप पर चर्चा की। सूत्रों ने बताया कि लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने के लिए निर्वाचन आयोग को लगभग 30 लाख इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (EVM) की जरूरत होगी। साथ ही सुगमतापूर्वक चुनाव संपन्न कराने के लिए तैयारियों में करीब डेढ़ साल का समय लगेगा।
एक ईवीएम में एक कंट्रोल यूनिट, कम से कम एक बैलेट यूनिट और एक वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) यूनिट होती है। सूत्रों के अनुसार, आयोग को एक साथ चुनाव कराने के लिए लगभग 30 लाख कंट्रोल यूनिट, लगभग 43 लाख बैलेट यूनिट और लगभग 32 लाख VVPAT की जरूरत होगी। सूत्रों ने बताया कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए लगभग 35 लाख वोटिंग यूनिट (कंट्रोल यूनिट, बैलेट यूनिट और VVPAT यूनिट) की कमी है। एक साथ चुनाव कराने पर विचार-विमर्श तेज होने के बीच चुनाव आयोग ने कुछ महीने पहले लॉ कमीशन को सूचित किया था कि उसे इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को रखने के लिए पर्याप्त स्टोरेज की भी जरूरत होगी।
लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने पर एक रिपोर्ट पर काम कर रहे वित्त आयोग ने निर्वाचन आयोग के साथ उसकी जरूरतों और चुनौतियों पर बातचीत की थी। इस बातचीत के बारे में सूत्रों ने बताया कि बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि इस तरह की कवायद कब होगी। जब कुछ राज्यों में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होते हैं, तो मतदाता दो अलग-अलग ईवीएम में अपना वोट डालते हैं।
पिछले लोकसभा चुनाव में 12.50 लाख मतदान केंद्र थे। आयोग को अब 12.50 लाख मतदान केंद्रों के लिए लगभग 15 लाख कंट्रोल यूनिट, 15 लाख वीवीपीएटी यूनिट और 18 लाख बैलेट यूनिट की आवश्यकता है। इस बारे में हालांकि कोई आधिकारिक अनुमान उपलब्ध नहीं है कि इन वोटिंग यूनिट की लागत कितनी है, लेकिन पिछली खरीद दरों के हिसाब से भी देखा जाए तो एक करोड़ यूनिट के लिए कुल लागत 15,000 करोड़ रुपये से अधिक होगी, जिसमें VVPAT यूनिट्स के लिए 6,500 करोड़ रुपये से अधिक शामिल हैं। अगर लोकसभा और विधानसभा चुनावों के साथ स्थानीय निकाय चुनाव भी कराए जाएं तो लागत और भी बढ़ सकती है।
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में गठित उच्च स्तरीय समिति संविधान के तहत मौजूदा ढांचे और अन्य वैधानिक प्रावधानों को ध्यान में रखते हुए लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के चुनाव एक साथ कराने पर विचार कर रही है। सूत्रों के अनुसार, निर्वाचन आयोग ने विधि आयोग के साथ अपनी बातचीत में ईवीएम के लिए स्टोरेज सुविधाओं की जरूरत जैसी चुनौतियों को भी लिस्ट किया। उन्होंने करीब डेढ़ साल की तैयारियों का जिक्र करते हुए कहा कि ईवीएम बनाने वाले सार्वजनिक क्षेत्र के दो उपक्रमों ईसीआईएल और बीईएल को भी पहले से सूचित करने की जरूरत होगी।
चुनाव आयोग ने कहा कि बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए सेमीकंडक्टर उद्योग को भी स्थिर होना चाहिए। चुनाव आयोग को चुनाव से पहले ईवीएम की ‘प्रथम स्तर की जांच’ के लिए भी समय की जरूरत होगी। आयोग ने 2024 के लोकसभा चुनावों के लिए पूरे भारत में चरणबद्ध तरीके से ‘प्रथम स्तर की जांच’ शुरू कर दी है। एफएलसी के दौरान, भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और इलेक्ट्रॉनिक्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के इंजीनियरों द्वारा VVPAT सहित ईवीएम, मशीनों की खामियों की जांच की जाती है। दोषपूर्ण मशीनों को मरम्मत या प्रतिस्थापन के लिए निर्माताओं को वापस कर दिया जाता है। राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की उपस्थिति में दोनों मशीनों की जांच के लिए एक ‘मॉक पोल’ भी आयोजित किया जाता है।