उत्तर प्रदेश के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का हाल काफी बुरा चल रहा है। ये कोई एक सरकार या कह लीजिए एक पार्टी की वजह से नहीं है, बल्कि 2005 से ही कई ऐसे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं जहां पर हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। लोग शिकायत करते हैं कि कोई भी बीमारी हो जाए, उन्हें बड़े अस्पतालों की तरफ भागना पड़ता है। जिन उदेश्य के साथ ये स्वास्थ्य केंद्र बने थे, आज वहीं पूरे होते नहीं दिख रहे हैं।
यूपी के 52 जिलों में कुल 218 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं, वहां भी कई पूरे ही नहीं बन पाए हैं। कंधारपुर का ही स्वास्थ्य केंद्र देख लिया जाए तो वहां की हालत खस्ता चल रही है। इंडियन एक्सप्रेस ने जब जमीन पर जाकर खुद स्थिति का जायजा लिया तो पता चला कि कंधारपुर वाले स्वास्थय केंद्र पर एक दिन पहले मात्र 19 मरीज आए। वहीं के ललमन यादव तो बताते हैं कि बुखार-सर्दी में तो यहां इलाज हो भी जाएगा, बड़ी बीमारी होने पर तो सीधे आजमगढ़ भागना पड़ता है।
आजमगढ़ के कप्तानगंज में भी एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बना हुआ है, लेकिन वहां पर अब सिर्फ पुलिस के अधिकारी बैठे दिखते हैं। कहने को वहां पर 15 रूम हैं, लेकिन एंटरेंस पर ही पुलिस की पार्किंग बन चुकी है। एंबुलेंस नहीं खड़ी हैं, लेकिन कई सारी बाइकों ने जगह घेर रखी है। जब इस स्थिति को लेकर एक पुलिस अधिकारी से पूछा गया तो दो टूक जवाब मिला- मेरी कुछ साल पहले यहां पोस्टिंग हुई थी। हेल्थ डिपार्टमेंट से कोई यहां नहीं आता। अब तो यहां पर पुलिस के बैरक बन गए हैं।
आजमगढ़ से 350 किलोमीटर आगे चलेंगे तो कानपुर के चौबेपुर इलाके में भी एक CHC बना हुआ है। कागज पर तो वहां पर 30 बेड और 15 ऑपरेशनल बिस्तर होने चाहिए। इसके अलावा गाइडलाइन कहती है कि CHC में मेडिकल ऑफिरसर्स के लिए रूम होना चाहिए, लेकिन यहां तो किसी भी स्टाफ के लिए कोई कमरा नहीं है। इसी तरह बिजनौर के शेखपुरा में जो स्वास्थ्य केंद्र बनने जा रहा है, उसकी लोकेशन को लेकर सवाल कई खड़े हो रहे हैं।
65 साल के नारायण सिंह बताते हैं कि जहां पर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाया जा रहा है, वो तो जंगल वाला इलाका है, उसे तो सड़क के पास होना चाहिए था। जब इंडियन एक्सप्रेस की टीम ने स्थिति जाकर देखी, तो पता चला कि वहां कोई पक्की सड़क नहीं बनी है। दूर से ही बस गन्ने की खेती दिखाई पड़ती है, ऐसे में वहां पहुंचना किसी के लिए भी मुश्किल रहने वाला है।
Bhikkawala में तो दो साल पहले ही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बन चुका है, लेकिन ना डॉक्टर के दर्शन होते हैं और ना ही वहां कोई जरूरी फर्नीचर रखा हुआ है। कई शिकायत इसे लेकर की जा चुकी हैं, लेकिन एप्लिकेशन को बस एक डिपार्टमेंट से दूसरे डिपार्टमेंट को भेज दिया जाता है।