तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ पैसे लेकर संसद में सवाल पूछने के आरोप के मामले में अपना बयान दर्ज कराने के लिए वकील जय अनंत देहाद्रई बृहस्पतिवार को लोकसभा की समिति के सामने पेश हुए। बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से की शिकायत में देहाद्रई की तरफ से साझा किए गए दस्तावेजों का उल्लेख किया है। बिरला ने ये मामला को बीजेपी सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली Ethics Committee को भेज दिया था। कमेटी फिलहाल सारे आरोपों की विस्तार से पड़ताल कर रही है। PTI के मुताबिक सोनकर की अगुवाई वाली कमेटी ने आरोपों को गंभीर माना है। कमेटी ने महुआ को 31 अक्टूबर को पेशी के लिए तलब किया है।
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष को 15 अक्टूबर को लिखे एक पत्र में आरोप लगाया था कि मोइत्रा ने लोकसभा में हाल के दिनों तक पूछे 61 सवालों में से 50 अडानी समूह को लेकर पूछे थे। बकौल निशिकांत दुबे किसी समय मोइत्रा के करीबी रहे देहाद्रई ने मोइत्रा और कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के बीच अडानी समूह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधने के लिए रिश्वत के लेनदेन के साक्ष्य दिखाए हैं। इन्हें खारिज नहीं किया जा सकता। गौरतलब है कि गौतम अडानी को लेकर विपक्ष लंबे अरसे से पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधता आ रहा है।
तृणमूल कांग्रेस की सांसद मोइत्रा ने आरोपों को खारिज कर कहा कि अडानी समूह उन्हें निशाना बनाने के लिए उनके पीछे पड़ा है। इसकी वजह ये है कि वह समूह से जुड़े लेन-देन पर लगातार सवाल उठा रही हैं। हीरानंदानी ने एक हस्ताक्षरित हलफनामे में स्वीकार किया है कि मोइत्रा ने प्रधानमंत्री मोदी की छवि खराब करने के लिए गौतम अडानी पर निशाना साधा। आरोप है कि हीरानंदानी ने संसद में सवाल पूछने के लिए महुआ को पैसे दिए थे।
निशिकांत दुबे की लोकसभा अध्यक्ष को लिखी गई चिट्ठी के बाद मामले ने तूल पकड़ लिया है। खास बात है कि जिस समिति के पास ये मामला गया है उसके अध्यक्ष भी बीजेपी के ही सांसद हैं। निशिकांत दुबे को बृहस्पतिवार को समिति के समक्ष अपना बयान दर्ज कराना है।