सुप्रीम कोर्ट एक अहम मसले पर विचार कर रहा है, जिसमें उसने जवाब मांगा है कि क्या अपराध से पहले अर्जित की गई संपत्ति को ईडी PMLA के तहत जब्त कर सकती है। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने ये नोटिस तब जारी किया जब वित्त मंत्रालय ने पटना हाईकोर्ट के एक आदेश को चुनौती देते हुए एक स्पेशल लीव पटीशन दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने ईडी को कुछ संपत्ति जब्त करने से रोक दिया था।
जस्टिस अभय एस ओका और जस्टिस पंकज मित्तल की बेंच ने ये नोटिस जारी किया। पटना हाईकोर्ट ने एचडीएफसी बैंक के पास रहन रखी गई प्रापर्टी को लेकर ये फैसला दिया था। ईडी का आरोप है कि नोटबंदी के दौरान आरोपी ने पीएमएलए के तहत अपराध किया था। ईडी ने तीन संपत्ति जब्त करने का फैसला किया था। लेकिन बैंक हाईकोर्ट चला गया। हाईकोर्ट ने ईडी को संपत्ति जब्त करने से रोक दिया।
13 दिसंबर 2016 को इस मामले में दो केस दर्ज किए गए थे। ईडी का आरोप है कि गलत तरीके से बैंक खाते में रकम जमा कराई गई। इस रकम को बाद में दूसरे खातों में ट्रांसफर कर दिया गया। आरोपी ने जालसाजी करके काले पैसे को सफेद करने का अपराध किया था। ईडी को लगा कि ये मनी लांड्रिंग है। लिहाजा ईडी के डिप्टी डायरेक्टर ने संपत्ति जब्त करने का आदेश जारी कर दिया।
बैंक ने ईडी की कार्रवाई का विरोध करते हुए 17 नवंबर 2017 को चिट्ठी जारी की। बात नहीं सुनी गई तो बैंक ने पटना हाईकोर्ट में केस दायर कर दिया। कोर्ट ने कहा कि अपराध से पहले अर्जित की गई संपत्ति को ईडी जब्त नहीं कर सकती है। उसके बाद ईडी ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। ईडी की तरफ से वित्त मंत्रालय ने टॉप कोर्ट में रिट दायर की।