एक जानी पहचानी कहावत है चूना लगाना। गुजरात के कुछ ड्रग्स मैन्युफैक्चरर इसे तब सही साबित कर दिखाया जब वो गंभीर रोगों के निदान के लिए इस्तेमाल की जाने वाली Antibiotic tablets के नाम पर चूना बेचते दिखे। Antibiotic tablets के नाम पर वो calcium carbonate tablets बेच रहे थे। गुजरात पुलिस ने तकरीबन 17 लाख रुपये की नकली Antibiotic tablets के साथ चार लोगों को हिरासत में लिया है।
रोचक तथ्य ये भी है कि हिमाचल प्रदेश की जिस दवा कंपनी के नाम पर इन ड्रग्स को तैयार करके बेचा जा रहा था उसका नामोनिशान तक नहीं है। पुलिस का कहना है कि Antibiotic tablets के रैपर पर मौजूद पते को खंगाला गया लेकिन ऐसी कोई दवा कंपनी हिमाचल में नहीं थी। ध्यान रहे कि दवाओं के उत्पादन के मामले में हिमाचल प्रदेश का सारे देश में एक रुतबा है। ज्यादातर दवाएं इसी सूबे में बनाई जाती हैं।
गुजरात के फूड एंड ड्रग्स कंट्रोल एडमिनिस्ट्रेशन (FDCA) का कहना है कि जो चार आरोपी हत्थे चढ़ें हैं वो बेनामी कंपनियों के मेडिकल रिप्रजेंटेटिव के तौर पर काम करते थे। ये लोग डॉक्टरों को नकली दवाएं सप्लाई करने का काम करते थे। इनकी निशानदेही पर नाडियाड, सूरत, अहमदाबाद और राजकोट में रेड की गई। महकमे का कहना है कि पकड़ी गई नकली दवा अगर बाजार में बेची जाती तो इनकी कीमत तकरीबन 17.5 लाख रुपये होती।
FDCA का कहना है कि अज्ञात शख्स की सूचना पर पहले खिमाराम को पकड़ा गया। उसके पास से नकली दवा के 99 बाक्स मिले। सख्ती की गई तो उसने अरुण अमेरा का नाम लिया। उसका कहना था कि अमेरा उसे नकली दवा सप्लाई करने का काम करता था। वो अहमदाबाद का रहने वाला है। उसके जरिये पुलिस विपुल देगड़ा तक पहुंची। उसके पास से तकरीबन 4 लाख 83 हजार 300 रुपये की पांच एंटी बॉयोटिक टैबलेट्स मिलीं। देगड़ा की सूचना पर पुलिस की टीम दर्शन व्यास तक पहुंची। देगड़ा के फोन की जांच करने पर पता चला कि वो डॉक्टर्स को बगैर बिल के दवा सप्लाई करता था। उसके बाद रेड में पुलिस को 10.5 लाख रुपये की दवाएं और मिलीं।