Bihar Politics: बिहार के मोतिहारी में गुरुवार को एक दीक्षांत समारोह के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ऐसा बयान दिया। जिससे उनके बयान के कई मायने निकाले जाने लगे। विवाद ज्यादा बड़ा तो उनको शनिवार को अपना राजनीतिक रुख भी स्पष्ट करना पड़ा। इस दौरान उन्होंने बीजेपी के प्रति किसी भी तरह के झुकाव से साफ इनकार किया। साथ ही कहा कि मीडिया ने उनको बयान को गलत तरीके से पेश किया।
गुरुवार को मोतिहारी के महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के दौरान नीतीश कुमार ने बीजेपी नेताओं के साथ मंच साझा किया था। इस दौरान उन्होंने कहा, ‘वे हमारे दोस्त हैं और दोस्त रहेंगे’। जिसके बाद जदयू की बीजेपी के साथ दोस्ती की अटकलें तेज हो गई थीं। जद (यू) नेता और मंत्री विजय कुमार चौधरी ने स्थिति को स्पष्ट करने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने केवल अपने व्यक्तिगत और राजनीतिक संबंधों का संकेत दिया है।
इसके बाद नीतीश कुमार ने गुस्से में आकर सफाई पेश की। उन्होंने कहा, “मैं इस बात से परेशान हूं कि कैसे मेरे बयान की गलत व्याख्या की गई और संदर्भ से बाहर इस्तेमाल किया गया। मैं मोतिहारी में महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय की स्थापना के अपने प्रयासों का जिक्र कर रहा था जब मैं एनडीए में था। मैंने केवल भाजपा के अपने पूर्व सहयोगियों को अपने प्रयासों के बारे में याद दिलाया… ऐसा कहने में क्या गलत है?’ उन्होंने अपने बयानों की “चयनात्मक व्याख्या” के कारण मीडियाकर्मियों से बात करने से परहेज करने की बात कही।
नीतीश कुमार ने डिप्टी तेजस्वी यादव के कंधे पर हाथ रखते हुए कहा, ‘हमारे साथ कड़ी मेहनत करते रहो। हम लोगों के लिए ये बच्चा सब कुछ है।’ पिछले साल नालंदा में उनके बयान के बाद यह दूसरा मौका है जब उन्होंने तेजस्वी को अपना उत्तराधिकारी बनाने का संकेत दिया है। विवाद से हुए नुकसान की भरपाई करने की कोशिश में उन्होंने कहा, ”मेरी कोई निजी महत्वाकांक्षा नहीं है। मेरा एकमात्र उद्देश्य हमारे गठबंधन (इंडिया ब्लॉक) के रुख को मजबूत करना है।
नीतीश कुमार पर हमला बोलते हुए भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा, “नीतीश कुमार को यकीन नहीं है कि वह क्या कह रहे हैं। बिहार की जनता तय करेगी कि उनका उत्तराधिकारी कौन होगा।” भाजपा के राज्यसभा सांसद और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि नीतीश “ट्विन-ट्रैक” राजनीति कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि “जद (यू) विघटन के कगार पर है और भाजपा को अब नीतीश की जरूरत नहीं है”।
हालांकि, बिहार कांग्रेस अध्यक्ष और राज्यसभा सांसद अखिलेश प्रसाद सिंह नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी फॉर्मूले से आश्चर्यचकित नहीं थे। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार द्वारा तेजस्वी को भावी सीएम कहने में कोई नई बात नहीं है। ऐसा वह पहले भी कह चुके हैं। हमने तेजस्वी को ग्रैंड अलायंस के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश करते हुए 2020 का विधानसभा चुनाव लड़ा था।
राजद के राष्ट्रीय प्रवक्ता सुबोध कुमार मेहता ने कहा, “नीतीश कुमार हमारे नेता तेजस्वी के बारे में जो कह रहे हैं, वह इस बात का प्रतिबिंब है कि बिहार के डिप्टी सीएम एक नेता के रूप में कितने परिपक्व हो गए हैं। तेजस्वी और लालू प्रसाद ने इंडिया विपक्षी गठबंधन के व्यापक हित में अगस्त 2022 में नीतीश कुमार से हाथ मिलाने का साहसिक कदम उठाया। नीतीश कुमार अच्छी तरह जानते हैं कि तेजस्वी में बिहार के विकास के एजेंडे को आगे बढ़ाने की क्षमता है।