अलिंद चौहान
तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा ने शुक्रवार (20 अक्टूबर) को कहा कि वह अपने खिलाफ ‘कैश फॉर क्वेरी’ आरोपों से संबंधित सीबीआई और लोकसभा आचार समिति के सवालों के जवाब देने का स्वागत करती हैं। एक्स पर एक पोस्ट में, मोइत्रा ने कहा: “अगर वे मुझे बुलाते हैं, तो मैं सीबीआई और एथिक्स कमेटी (जिसमें अधिकतर बीजेपी सदस्य हैं) के सवालों का जवाब देने का स्वागत करूंगी।” उनकी टिप्पणी हीरानंदानी समूह के सीईओ दर्शन हीरानंदानी द्वारा एथिक्स कमेटी को दिए एक हलफनामे में यह दावा किए जाने के एक दिन बाद आई है कि सांसद महुआ ने उन्हें अपना संसद लॉगिन और पासवर्ड दिया था ताकि वह आवश्यकता पड़ने पर उनकी ओर से सीधे “प्रश्न पोस्ट” कर सकें।
पश्चिम बंगाल में कृष्णानगर का प्रतिनिधित्व करने वाली लोकसभा सांसद मोइत्रा ने लोकसभा सत्र के दौरान एक सवाल उठाया था। इसको लेकर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने मोइत्रा पर संसद में सवाल पूछने के लिए एक व्यवसायी से रिश्वत लेने का आरोप लगाया था और स्पीकर ओम बिरला से उनके खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक जांच समिति गठित करने का आग्रह किया था। सांसद मोइत्रा ने इसके खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट पहुंच गईं। इसमें उन्होंने बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे, वकील जय अनंत देहाद्राई, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स, सर्च इंजन गूगल, यूट्यूब और 15 मीडिया हाउसों के खिलाफ उनके खिलाफ प्रथम दृष्टया झूठे, दुर्भावनापूर्ण, मानहानिकारक बयान देने, प्रकाशित करने, प्रसारित करने से रोक लगाने की मांग की हैं। उन्होंने हर्जाना भी मांगा है।
सत्र के दौरान, लोकसभा आम तौर पर प्रश्नकाल से शुरू होती है – सांसदों को मंत्रियों से प्रश्न पूछने और उन्हें अपने मंत्रालयों के कामकाज के लिए जवाबदेह ठहराने के लिए एक घंटे की समयावधि प्रदान की जाती है। सांसद किस तरह के सवाल उठा सकते हैं, सवाल पूछने की प्रक्रिया क्या है और इस प्रक्रिया का महत्व क्या है, इसको इस तरह समझें।
प्रश्न उठाने की प्रक्रिया “लोकसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम” संख्या 32 से 54 और “अध्यक्ष, लोकसभा द्वारा निर्देश” की संख्या 10 से 18 से संचालित होती है। प्रश्न पूछने के लिए एक सांसद को पहले निचले सदन के महासचिव को संबोधित एक नोटिस देना होता है, जिसमें प्रश्न पूछने के अपने इरादे की जानकारी देनी होती है। नोटिस में आमतौर पर प्रश्न का पाठ, जिस मंत्री को प्रश्न संबोधित किया गया है, उसका आधिकारिक पदनाम वह तारीख जिस पर उत्तर वांछित है, और यदि सांसद एक से अधिक प्रश्नों के नोटिस देता है तो उसी दिन वरीयता क्रम आदि शामिल होता है।
सरकारी दस्तावेज़ के मुताबिक लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान “एक सदस्य को किसी भी दिन मौखिक और लिखित उत्तरों के लिए कुल मिलाकर प्रश्नों की पांच से अधिक सूचनाएं देने की अनुमति नहीं है। किसी सदस्य से एक दिन में पांच से अधिक सवालों के मिलने पर केवल उस सत्र की अवधि के दौरान उस मंत्री(ओं) से संबंधित अगले दिन(दिनों) के लिए विचार किया जाता है।” आमतौर पर, किसी प्रश्न की सूचना की अवधि 15 दिन से कम नहीं होती है।
सांसद दो तरीकों से अपने सवालों के लिए नोटिस दे सकते हैं। पहला एक ऑनलाइन ‘मेंबर पोर्टल’ के माध्यम से और दूसरा संसदीय सूचना कार्यालय में उपलब्ध प्रिंटेड पेपर के माध्यम से सवाल पूछा जा सकता है। ऑनलाइन माध्यम से सवाल पूछने के लिए अपनी आईडी और पासवर्ड दर्ज कर एक्सेस करना होगा। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष निर्धारित नियमों के तहत सवालों के नोटिस की जांच करते हैं। अध्यक्ष ही निर्णय लेते हैं कि कोई सवाल या उसका कोई भाग स्वीकार्य है या नहीं।
ऐसे कई नियम हैं जो एक सांसद द्वारा उठाए गए प्रश्न की स्वीकार्यता को नियंत्रित करते हैं। उदाहरण के लिए प्रश्नों में सामान्यतः 150 शब्दों से अधिक नहीं होने चाहिए। उनमें तर्क-वितर्क, मानहानिकारक बयान नहीं होने चाहिए, उनकी आधिकारिक या सार्वजनिक क्षमता को छोड़कर किसी भी व्यक्ति के चरित्र या आचरण का उल्लेख नहीं होना चाहिए। नीति के बड़े मुद्दों को उठाने वाले प्रश्नों की अनुमति नहीं है, क्योंकि किसी प्रश्न के उत्तर के सीमित दायरे में नीतियों का वर्णन करना संभव नहीं है।
इनके अलावा कोई प्रश्न स्वीकार्य नहीं है यदि उसका विषय किसी अदालत या किसी अन्य ट्रिब्यूनल या कानून के तहत गठित निकाय के समक्ष लंबित है या संसदीय समिति के समक्ष विचाराधीन है। कोई भी सदस्य उन मामलों पर जानकारी नहीं मांग सकता जो देश की एकता और अखंडता को कमजोर कर सकते हैं।
प्रश्न चार अलग-अलग प्रकार के होते हैं: तारांकित, अतारांकित, अल्प-सूचना प्रश्न और निजी सदस्यों को संबोधित प्रश्न।
तारांकित प्रश्न एक सांसद द्वारा पूछा जाता है और प्रभारी मंत्री द्वारा मौखिक रूप से उत्तर दिया जाता है। प्रत्येक सांसद को प्रतिदिन एक तारांकित प्रश्न पूछने की अनुमति है। तारांकित प्रश्नों को कम से कम 15 दिन पहले जमा करना होगा (ताकि प्रभारी मंत्री को उत्तर तैयार करने के लिए समय मिल सके) और एक दिन में केवल 20 प्रश्न मौखिक उत्तर के लिए सूचीबद्ध किए जा सकते हैं। जब किसी प्रश्न का उत्तर मौखिक रूप से दिया जाता है, तो उस पर पूरक प्रश्न पूछे जा सकते हैं।
अतारांकित प्रश्न का मंत्रालय से लिखित उत्तर प्राप्त होता है। इन्हें भी कम से कम 15 दिन पहले जमा करना होगा। एक दिन में केवल 230 प्रश्न ही लिखित उत्तर के लिए सूचीबद्ध किये जा सकते हैं। तारांकित प्रश्नों के विपरीत, अतारांकित प्रश्न से जुड़े दूसरे सवाल पूछने की अनुमति नहीं होती है।
पीआरएस लेजिस्लेटिव रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, तारांकित प्रश्न मुद्दों पर सरकार के विचारों और उसकी नीतिगत झुकाव के बारे में जानने के लिए बेहतर अनुकूल हैं, वहीं अतारांकित प्रश्न डेटा या सूचना से संबंधित प्रश्नों के उत्तर पाने के लिए अधिक अनुकूल हैं। अल्प सूचना प्रश्न वे होते हैं जो अत्यावश्यक सार्वजनिक महत्व के मामले से संबंधित होते हैं। उनसे 10 दिन से कम समय के नोटिस पर, अल्प सूचना की वजह सहित पूछा जा सकता है। तारांकित प्रश्न की तरह उनका उत्तर मौखिक रूप से दिया जाता है, उसके बाद पूरक प्रश्न पूछे जाते हैं।
किसी निजी सदस्य से प्रश्न स्वयं सांसद को संबोधित किया जाता है। यह तब पूछा जाता है जब विषय किसी विधेयक, संकल्प या सदन के व्यवसाय से संबंधित किसी मामले से संबंधित होता है जिसके लिए वह सांसद जिम्मेदार होता है। सरकारी दस्तावेज़ में कहा गया है, “ऐसे प्रश्नों के लिए, उसी प्रक्रिया का पालन किया जाता है जैसे किसी मंत्री को संबोधित प्रश्नों के मामले में होती है। या फिर ऐसे बदलावों के साथ जिन्हें अध्यक्ष आवश्यक या सुविधाजनक समझें।”
‘लोकसभा में प्रश्नकाल’ दस्तावेज़ के अनुसार, प्रश्न पूछना एक सांसद का “निहित और बेरोकटोक” संसदीय अधिकार है। इसका उद्देश्य कार्यकारी कार्यों पर विधायी नियंत्रण का अभ्यास करने के लिए एक संसदीय उपकरण के रूप में कार्य करना है। इसका उपयोग प्रशासन और सरकारी गतिविधि के पहलुओं पर जानकारी प्राप्त करने, सरकारी नीतियों और योजनाओं की आलोचना करने, सरकारी खामियों पर प्रकाश डालने और मंत्रियों को जनहित के लिए ठोस कदम उठाने के लिए प्रेरित करने के लिए किया जा सकता है।