Pratip Acharya, Rupsa Chakraborty
मुंबई की हवा भी जहरीली हो रही है। आने वाले दिनों में यह और ख़राब हो सकती है। अगर पिछले साल की तुलना करे तो दिल्ली से अधिक दिनों तक मुंबई में वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) ख़राब थी।
मंगलवार को मुंबई का वायु गुणवत्ता सूचकांक (Air Quality Index) 191 तक पहुंच गया था, जो दिल्ली के 84 से भी बदतर था। अंधेरी और मझगांव में ये 300 से अधिक था। सायन और बांद्रा कुर्ला कॉम्प्लेक्स में 200 को पार कर गया। बता दें कि 200 से ऊपर AQI को खराब माना जाता है और 300 से ऊपर को बहुत खराब और गंभीर स्वास्थ्य खतरा माना जाता है।
द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा विश्लेषण किए गए रिकॉर्ड और सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत अखबार द्वारा प्राप्त डेटा के अनुसार लगातार मुंबई में हवा जहरीली होती जा रही है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत वायु गुणवत्ता और मौसम पूर्वानुमान और अनुसंधान प्रणाली (SAFAR) के डेटा से पता चला है कि मुंबई में पिछली सर्दियों में सबसे खराब AQI दर्ज किया गया था। नवंबर 2022 से जनवरी 2023 तक मुंबई में 92 दिनों में से 66 दिनों में खराब और बहुत खराब AQI दर्ज किया गया था।
उन्हीं 92 दिनों की तुलना अगर देश की राजधानी दिल्ली से करें तो यहां 79 दिन खराब और बहुत खराब एक्यूआई थे और आठ दिन गंभीर स्थिति में थे।
SAFAR के संस्थापक परियोजना निदेशक और बेंगलुरु में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज़ में चेयर प्रोफेसर गुफरान बेग ने कहा, “दिल्ली को अपनी ज़मीन से घिरे भूगोल के कारण नुकसान है, लेकिन मुंबई एक तटीय शहर है जिसे प्राकृतिक सफाई का लाभ मिलता है। तेज़ समुद्री हवाओं के कारण वायु प्रदूषकों दूर हो जाते हैं। हालांकि हाल के दिनों में हम देखते हैं कि प्रकृति अपना दिया हुआ आशीर्वाद छीन सकती है। शहर के प्रदूषण में बढ़ोतरी के पीछे स्थानीय, क्षेत्रीय और मौसम संबंधी कारण हैं। जलवायु परिवर्तन और हवा के बदलते पैटर्न ने इसमें भूमिका निभाई है।”
गुफरान बेग ने कहा, “यही कारण है कि मुंबई के भौगोलिक लाभ के बावजूद, हमने (प्राकृतिक और मानवीय कारकों के कारण) AQI में भारी गिरावट देखी है। पिछले कुछ वर्षों में, हवा का पैटर्न बदल गया है, जिसके कारण हवा के उलट होने की प्रक्रिया में 15 दिन तक का समय लग रहा है और पहले यह हर दो दिन में होता था। जब AQI 300 तक पहुंच जाता है जैसा कि इस सप्ताह मुंबई के कई क्षेत्रों में हुआ, तो यह PM2.5 स्तर 120 का संकेत देता है। इसका मतलब है कि इस स्तर पर हवा की गुणवत्ता लगभग 5-6 सिगरेट से निकलने वाले सूक्ष्म कणों के बराबर स्वास्थ्य प्रभाव डालती है।
सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत इंडियन एक्सप्रेस द्वारा बीएमसी से प्राप्त डेटा के अनुसार क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज से मरने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। प्रतिदिन औसतन छह लोग मर रहे हैं। सीओपीडी फेफड़ों की एक आम बीमारी है जो सांस लेने में बाधा उत्पन्न करती है और फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकती है।