Gaganyaan Test Flight News: इंसानों को अंतरिक्ष में भेजने के लिए भारत पूरी तरह तैयार है। इसरो का गगनयान मिशन साल 2025 में इंसानों को स्पेस में लेकर जाने वाला है। लेकिन इस मिशन के साकार होने से पहले कुछ टेस्ट का पूरा होना जरूरी है। इसी कड़ी में कल यानी कि शनिवार को पहला बड़ा टेस्ट होने जा रहा है। इसे व्हीकल अबॉर्ट मिशन का पहला टेस्ट भी कहा जा सकता है।
बताया जा रहा है कि इसरो कल व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 (TV-D1) का पहला टेस्ट करने की तैयारी कर रहा है। इसरो चेयरमेन के मुताबिक कुल चार ऐसे टेस्ट किए जाएंगे जिनके जरिए गगनयान मिशन के सभी सिस्टम को चेक किया जाएगा। कल के टेस्ट की बात करें तो रॉकेट से क्रू मॉड्यूल को अलग करने पर सारा जोर दिया जाएगा। इसके अलावा वो कितनी देर में, कहां पर नीचे आता है, ये भी कल ही देखा जाएगा।
बड़ी बात ये है कि कल जो टेस्ट होने वाला है, उसमें क्रू मॉड्यूल में कोई भी इंसान नहीं होगा। अभी सिर्फ क्योंकि आपातकाल स्थिति के लिहाज से इसे टेस्ट किया जा रहा है, ऐसे में किसी भी इंसान को इसमें शामिल नहीं किया जाएगा। यहां ये समझना जरूरी है कि टेस्ट रॉकेट का वजन 44 टन रहने वाला है। इसमें मोडिफाइड विकास इंजान का इस्तेमाल किया गया है। इस टेस्ट को पूरा होने में करीब 531 सेकेंड लगेंगे या कह सकते हैं 9 मिनट।
इसके अलावा 60 सेकेंड तक रॉकेट 17 किलोमीटर की ऊंचाई पर भी रहने वाला है। वहीं जब 91 सेकेंड पूरे हो जाएंगे, तब क्रू मॉड्यूल से क्रू एस्केप सिस्टम अलग हो जाएगा और पैराशूट खुल जाएगा। जानकारी के लिए बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2018 को लाल किला से मानवरहित अंतरिक्ष मिशन की घोषणा की थी। इसके बाद से ही इसरो ने गगणयान मिशन पर काम तेजी से शुरू कर दिया। इस मिशन के तहत इसरो तीन एस्ट्रोनॉट (अंतरिक्ष यात्री) को पृथ्वी के लोअर ऑर्बिट में भेजने की कोशिश करेगा। गगनयान मिशन तीन दिन तक पृथ्वी की कक्षा का चक्कर लगाएगा और इसकी समुद्र में सुरक्षित लैंडिंग की जाएगी।
गगणयान मिशन पर करीब 10 हजार करोड़ रुपए का खर्च आएगा। अभी तक इस मिशन पर 3 हजार करोड़ रुपए खर्च किये जा चुके है। अंतरिक्ष में जाने वाले भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों की ट्रेनिंग रूस की अंतरिक्ष एजेंसी ग्लावकास्मोस में की जाएगी।