गाजा शहर में अल-अहली अस्पताल पर हुए हमले में घायल लोगों का इलाज करने में चिकित्सक मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। चिकित्सा सामग्री की कमी के चलते उन्हें बेहोश करने की दवा ‘एनेस्थीसिया’ के बिना अस्पताल के फर्श पर घायलों की सर्जरी करनी पड़ रही है।
इजरायल की तरफ से हो रही बमबारी और क्षेत्र की नाकाबंदी के बीच हुए इस हमले में अस्पताल के करीब शरण लेने वाले कई लोगों की मौत हो गई है। चरमपंथी समूह हमास ने अस्पताल पर हमले के लिए इजरायल को जिम्मेदार बताया है जबकि इजरायली सेना का कहना है कि फिलिस्तीनी चरमपंथियों की ओर से दागा गया एक राकेट निशाना चूक गया, जिसकी वजह से यह घटना हुई।
हमास द्वारा संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार हमले में कम से कम 500 लोगों की मौत हुई है। अल-अलही अस्पताल में काम करने वाले प्लास्टिक सर्जन गासन अबू सित्ता ने कहा कि उन्होंने एक जोरदार विस्फोट की आवाज सुनी और उनके आपरेशन कक्ष की छत गिर गई। उन्होंने फेसबुक पर लिखा, ‘घायल लड़खड़ाते हुए हमारी ओर आने लगे।’
गासन ने कहा कि उन्होंने सैकड़ों मृत और गंभीर रूप से घायल लोगों को देखा। उन्होंने कहा, ‘मैंने एक आदमी की जांघ पर पट्टी बांधी, जिसका पैर अलग हो गया था और फिर एक व्यक्ति की देखभाल करने गया, जिसकी गर्दन में गहरी चोट लगी थी।’ ‘एसोसिएटेड प्रेस’ ने एक वीडियो की पुष्टि की है, जिसमें अस्पताल के मैदान में शवों के टुकड़े बिखरे हुए दिख रहे हैं। मृतकों में कई छोटे बच्चे थे।
और इमारत में आग लगी हुई है। वीडियो में देखा जा सकता है कि अस्पताल के बाहर कंबल, स्कूल बैग और अन्य सामान बिखरा हुआ है। बुधवार की सुबह विस्फोट स्थल पर जली हुई कारें बिखरी पड़ी थीं और जमीन पर मलबे का अंबार लगा था। अस्पताल की निदेशक सुहैला तराजी ने कहा कि विस्फोट के बाद मैंने जो देखा उसकी कल्पना भी नहीं कर सकती थी।
उन्होंने कहा, ‘हम सभी इस युद्ध में हार चुके हैं। और इसे खत्म होना ही चाहिए।’ एम्बुलेंस और निजी कारों के जरिए लगभग 350 हताहतों को गाजा शहर के मुख्य अस्पताल अल-शिफा पहुंचाया गया, जो पहले से ही अन्य हमलों में घायल हुए लोगों से भरा हुआ है। अस्पताल के निदेशक मोहम्मद अबू सेल्मिया ने यह जानकारी दी।