राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू बुधवार को तीन दिवसीय बिहार दौरे पर पटना पहुंची। यहां ज्ञान भवन में आयोजित एक समारोह में उन्होंने बिहार के चौथे कृषि रोड मैप का लोकार्पण किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा कि वह किसान की बेटी हैं और जब वह राष्ट्रपति पद से रिटायर होंगी, तो अपने गांव जाकर खेती करेंगी।
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपना फ्यूचर प्लान बताते हुए कहा कि वह एक किसान की बेटी हैं। उन्होंने कहा कि वह किसानों से यह जानने के लिए बिहार आएंगी कि खेती कैसे की जाती है, अनाज का भंडारण कैसे किया जाता है और फसलों की उत्पादकता कैसे बढ़ाई जाती है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि राष्ट्रपति के रूप में भले ही उनकी बिहार में यह पहली यात्रा है लेकिन वह इस राज्य और यहां की संस्कृति से भली-भांति परिचित हैं। उन्होंने कहा कि उनका गृह राज्य ओडिशा भी ऐतिहासिक रूप से बिहार से जुड़ा हुआ है, इसलिए वह खुद को भी बिहारी कह सकती हैं। उन्होंने कहा कि सीएम नीतीश उन्हें बार बार बिहार आने का न्योता देते हैं। चूंकि वह बिहार भी अपना राज्य मानती हैं इसलिए वह बीच-बीच में बिहार आती रहेंगी।
राष्ट्रपति ने कहा कि लगभग छह सालों तक पड़ोसी राज्य झारखंड के राज्यपाल के कर्तव्यों का निर्वहन करते हुए, मैंने बिहार की संस्कृति और जीवन शैली को करीब से जाना और अनुभव किया है।
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि उन्होंने सूरीनाम यात्रा के क्रम में वहां प्राचीन बिहार की झलक देखी है। विशाल भौगोलिक दूरी और अलग-अलग टाइम जोन में होने के बावजूद बिहार से गए लोगों ने वहां न केवल अपनी संस्कृति और परंपरा को संजोए रखा है बल्कि स्थानीयता में भी रच-बस गए हैं। उन्होंने कहा कि बटोहिया और बिदेशिया से लेकर कटनी और रोपणी के गीतों तक की बिहार की लोक संस्कृति और साहित्य की यात्रा ने पूरे विश्व में अपनी पहचान बनायी है।
दरअसल,राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु के जीवन का बड़ा हिस्सा ओडिशा जिले के मयूरभंज जिले के एक छोटे से गांव बैदापोसी में बीता है। उन्होंने किसानों के संघर्षपूर्ण जीवन को नजदीक से महसूस किया है।