Same Gender Marriage: सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान बेंच ने समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को लेकर मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस पर कानून बनाने का अधिकार सिर्फ संसद को है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे जोड़ों को बच्चा गोद लेने का अधिकार दे दिया है। कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों को समलैंगिकों के लिए उचित कदम उठाने का आदेश भी दिया है। कोर्ट ने इन जोड़ों के लिए सेफ हाउस बनाने का निर्देश दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में केंद्र सरकार को कमेटी बनाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि यह कमेटी समलैंगिक जोड़ों को परिवार के रूप में शामिल करने, समलैंगिक जोड़ों को संयुक्त बैंक खाते के लिए नामांकन करने में सक्षम बनाने और उन्हें पेंशन, ग्रेच्युटी आदि से मिलने वाले अधिकार का अध्ययन करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने समलैंगिक जोड़ों को बच्चा गोद लेने का अधिकार दे दिया है। कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि सिर्फ विषमलैंगिक जोड़ों ही अच्छी परवरिश कर सकते हैं यह जरूरी नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को समलैंगिक जोड़ों के लिए सेफ हाउस बनाने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने कहा कि समलैंगिक जोड़ों के लिए सरकार सेफ हाउस और डॉक्टर की व्यवस्था करे। कोर्ट ने कहा कि ऐसे जोड़ों के लिए एक हेल्पलाइन नंबर भी होना चाहिए। इस पर ऐसे जोड़ों जब चाहें अपनी शिकायत दर्ज करा करें। कोर्ट ने कहा समलैंगिक जोड़ों के साथ किसी प्रकार का भेदभाव नहीं होना चाहिए। ये पुलिस की जिम्मेदारी है कि ऐसे जोड़ों को सुरक्षा प्रदान की जाए।
सुप्रीम कोर्ट की 5 जजों की संविधान बेंच ने यह फैसला सुनाया है। इस बेंच में चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के अलावा जस्टिस कौल, जस्टिस एस रवींद्र भट्ट, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस हिमा कोहली शामिल हैं। सीजेआई ने इस मामले में अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट विशेष विवाह अधिनियम के प्रावधानों को रद्द नहीं कर सकती। सीजेआई ने फैसला सुनाते हुए कहा कि इस मामले में कुछ चार फैसले हैं। कुछ सहमति के हैं और कुछ असहमति के हैं।