देश में सेम सैक्स मैरिज को लेकर इस साल सुप्रीम कोर्ट में लगातार 10 दिनों तक कई घंटों की बहस चली है। अब उस बहस के बाद फैसले की घड़ी आ गई जब सुप्रीम कोर्ट तय करेगा कि सेम सैक्स मैरिज को मान्यता दी जाए या नहीं। बड़ी बात ये है कि केंद्र सरकार द्वारा खुलकर इसका विरोध किया गया है। एडवोकेट तुषार मेहता द्वारा कई तर्क भी दिए जा चुके हैं, लेकिन अब आज इस मामले में फैसला हो जाएगा।
जानकारी के लिए बता दें कि इस मुद्दे पर आखिरा बार सुनफाई 11 मई को हुई थी। केस की सुनवाई सीजेआई डी वाय चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कॉल, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा द्वारा की जा रही थी। इन सभी की तरफ से इस साल 11 मई को फैसले को सुरक्षित रख लिया गया था। वैसे देश में ये मुद्दा इतना सुर्खियां इसलिए बटोर रहा है क्योंकि कुछ साल पहले ही सुप्रीम कोर्ट द्वारा समलैंगिकता को अपराध मानने वाली IPC की धारा 377 के एक पार्ट को रद्द कर दिया था।
उस फैसले के बाद से ही मांग उठ रही थी कि सेम सैक्स वाले लोगों को हर तरह का अधिकार दिया जाए, उन्हें सरकार द्वारा हर सुविधा मिले। लेकिन ये राह उतनी आसान भी नहीं रहने वाली है क्योंकि केंद्र सरकार ने 10 दिन की सुनवाई के दौरान एक बार भी इसके पक्ष में बयान नहीं दिया है। यहां ये समझना जरूरी है कि समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट में कुल 20 याचिकाएं दायर हैं। इनमें हैदराबाद का एक कपल भी शामिल है। उच्चतम न्यायालय की 5 जजों की पीठ इस मामले पर सुनवाई कर रही है।
वैसे केंद्र सरकार ने जो नया हलफनामा दायर किया था उसमें कहा था कि विवाह एक ऐसा मसला है, जो विधायिका के दायरे में आता है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि किसी भी फैसले से राज्यों के अधिकार प्रभावित होंगे। खासकर इस विषय पर कोई कानून बनाने से राज्यों के अधिकार में हस्तक्षेप होगा। ऐसे में उनकी राय जरूरी है। केंद्र सरकार ने सभी राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों के चीफ सेक्रेटरी को इस मामले में पत्र लिखा था और उनकी राय मांगी थी।
केंद्र सरकार ने अपने एफिडेविट में कहा था कि जो लोग सेम सेक्स मैरिज को लीगल करने की मांग कर रहे हैं, वे अर्बन एलीट (शहरी अभिजात्य) हैं और यह आम भारतीय की राय या भावना नहीं है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं को खारिज करने की मांग की थी।