इस साल 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी मुस्लिम वोटर्स को लुभाने की तैयारी में जुटी है। भाजपा की पसमांदा मुस्लिम तक पहुंच की कोशिश के बाद सत्तारूढ़ दल ने देश के सबसे बड़े धार्मिक अल्पसंख्यक को ध्यान में रखते हुए एक आउटरीच कार्यक्रम शुरू किया है, जिसे सूफी संवाद महा अभियान या सूफी वार्ता का नाम दिया गया है।
बीजेपी के अल्पसंख्यक मोर्चा ने 12 अक्टूबर को लखनऊ में सूफी संवाद महाअभियान के तहत एक कार्यक्रम आयोजित किया था, जिसमें 100 से ज्यादा दरगाहों के करीब 200 सूफी मौजूद थे। कार्यक्रम के दौरान उनसे पूरे भारत में मुसलमानों तक मोदी सरकार की नीतियों और योजनाओं का संदेश पहुंचाने का अनुरोध किया गया।
अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष जमाल सिद्दीकी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सूफियों को भारतीय परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं। सूफी आम लोगों के बीच रहते थे, बहुलवाद की शिक्षा देते थे और धर्म, जाति, पंथ या विश्वास के बावजूद सभी के प्रति समावेशी थे। वह चाहते हैं कि बीजेपी पीएम के दृष्टिकोण और सरकार की कल्याणकारी नीतियों के बारे में जानकारी साझा करने के लिए देश भर के सूफियों तक पहुंचे। यह पसमांदा आउटरीच से अलग एक विशिष्ट आउटरीच है। इसका उद्देश्य सूफी आध्यात्मिक नेताओं के माध्यम से अपने अनुयायियों के बीच भाजपा का संदेश पहुंचाना है, जो समाज के सभी वर्गों, विशेषकर मुस्लिम समाज से आते हैं।“
सिद्दीकी ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य सूफियों को भाजपा में शामिल करना नहीं था बल्कि उनके साथ बातचीत शुरू करना और आम मुसलमानों तक पहुंचना था। उन्होंने कहा, “पार्टी को उनके सामने आने वाली समस्याओं या उनकी मांगों के बारे में पता चल जाएगा और उन्हें सरकार तक पहुंचाया जा सकता है।”