भारत ने अगस्त 2023 में चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंड करने में सफलता हासिल की। ISRO के चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग की। स्पेस में भारत के बढ़ते कद को देखते हुए अब अमेरिका ने भी भारत से टेक्नोलॉजी शेयर करने की मांग की है। इस बात की जानकारी खुद इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (ISRO) के चीफ एस सोमनाथ ने दी है।
ISRO चीफ ने बताया कि जब चंद्रयान-3 मिशन के लिए स्पेसक्राफ्ट डेवलप किया जा रहा था, तब अमेरिका के एक्सपर्ट्स ने सुझाव दिया था कि इस टेक्नोलॉजी के बारे में भारत को अमेरिका के साथ जानकारी शेयर करनी चाहिए। एस सोमनाथ ने रामेश्वरम में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि वक्त बदल गया है और भारत बेहतरीन उपकरण और रॉकेट बनाने में सक्षम है, यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरिक्ष क्षेत्र को प्राइवेट सेक्टर के लिए खोला है।
कार्यक्रम के दौरान एस सोमनाथ ने कहा कि हमारा देश बहुत शक्तिशाली राष्ट्र है। आप समझ गए? ज्ञान और बुद्धिमत्ता के स्तर के लिहाज से हमारा देश दुनिया के सर्वश्रेष्ठ देशों में से एक है। उन्होंने बताया कि चंद्रयान-3 मिशन के लिए जब हमने अंतरिक्ष यान को डिजाइन और डेवलप किया, तो हमने जेट प्रोपल्शन लेबोरेट्री , नासा-जेपीएल के विशेषज्ञों को आमंत्रित किया। यह सभी रॉकेट और कठिन मिशन पर काम करते हैं।
इसरो प्रमुख ने कहा, “नासा-जेपीएल से लगभग 5-6 लोग इसरो मुख्यालय में आए और हमने उन्हें चंद्रयान-3 के बारे में समझाया। यह 23 अगस्त को सॉफ्ट लैंडिंग से पहले की बात है। हमने बताया कि हमने इसे कैसे डिजाइन किया और हमारे इंजीनियरों ने इसे कैसे बनाया और हम चंद्रमा की सतह पर कैसे उतरेंगे। जिसके बाद उन्होंने बस इतना कहा कि कोई टिप्पणी नहीं। सब कुछ अच्छा होने वाला है।”
एस सोमनाथ ने बताया, “अमेरिकी अंतरिक्ष विशेषज्ञों ने एक बात यह भी कही कि वैज्ञानिक उपकरणों को देखो वे बहुत सस्ते हैं। इन्हें बनाना बहुत आसान है और ये उच्च तकनीक वाले हैं। आपने इसे कैसे बनाया?” उन्होंने कहा कि वो कह रहे थे कि आप इसे अमेरिका को क्यों नहीं बेच देते।
गौरतलब है कि भारत के चंद्रयान-3 ने 23 अगस्त 2023 को चंद्रमा की सतह के दक्षिणी ध्रुव पर सफलतापूर्वक सॉफ्ट लैंडिंग की। जिसके बाद वह अमेरिका, चीन और तत्कालीन सोवियत संघ के बाद चंद्रमा पर उतरने की उपलब्धि हासिल करने वाला चौथा देश बन गया।