चुनावी बॉन्ड (Electoral Bonds) के जरिए राजनीतिक दलों को मिलने वाले चुनावी चंदे का मामला सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ को भेज दिया गया है। अब इस मामले की सुनवाई 5 जजों को संविधान पीठ करेगी। सोमवार को इस मामले की सुनवाई के बाद सीजेआई डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने यह आदेश दिया। इस मामले में अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी।
सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर सवाल उठाए गए हैं। वकील प्रशांत भूषण ने बेंच के सामने कहा था कि 2024 के आम चुनाव के लिए इलेक्टोरल बॉन्ड जारी होने से पहले इस योजना का न्यायिक परीक्षण जरूरी है। सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बॉन्ड को लेकर कुल 4 जनहित याचिकाएं लंबित हैं। इनमें से एक याचिकाकर्ता ने मार्च में कहा था कि चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को अब तक 12,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है और इसकी दो-तिहाई राशि एक प्रमुख राजनीतिक दल को गई है।
दावा किया जाता है कि राजनीतिक वित्तपोषण में पारदर्शिता लाने के प्रयासों के तहत चुनावी बॉन्ड को दलों को दिए जाने वाले नकद चंदे के विकल्प के रूप में पेश किया गया है। गैर सरकारी संगठन एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) की ओर से पेश भूषण ने कहा, चुनावी बॉन्ड के जरिये अज्ञात स्रोतों से होने वाली फंडिंग भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रही है और भ्रष्टाचार मुक्त देश में रहने के नागरिकों के अधिकार का हनन कर रही है। यह संविधान के अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है।
इनपुट-भाषा