सिक्किम बाढ़ में फंसे 1700 से अधिक लोगों को भारतीय वायु सेना (IAF) ने निकाला। IAF अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि सिक्किम के बाढ़ प्रभावित इलाकों में बचाव अभियान जारी रहेगा। अधिकारियों के अनुसार, भारतीय वायु सेना के चिनूक और Mi-17 V5 हेलीकॉप्टर ऑपरेशन जारी रखेंगे। वहीं, NGT ने तीस्ता-III बांध टूटने पर नोटिस जारी किया है।
सिक्किम के बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में राहत प्रयासों को बढ़ावा देने के लिए 200 से अधिक कर्मियों को शामिल किया गया है। वायुसेना अधिकारियों ने कहा, “भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टरों ने अब तक 200 उड़ानों में लगभग 99 टन राहत सामग्री पहुंचाई है। आवश्यकताएं पूरी होने तक ऑपरेशन जारी रहेंगे।”
सिक्किम हिमालय में ल्होनक ग्लेशियर 3 अक्टूबर को फट गया था, जिससे तीस्ता में जल स्तर बढ़ गया और राज्य के कई इलाके जलमग्न हो गए। इस बाढ़ में दर्जनों लोगों की मौत हो गई और हजारों की संख्या में पर्यटक फंस गए। सिक्किम को हाल ही में अचानक आई बाढ़ के कारण भारी नुकसान का सामना करना पड़ा जिसमें पुलों, सड़कों और अन्य बुनियादी ढांचे को नुकसान हुआ।
पिछले हफ्ते ग्लेशियल लेक आउटबर्स्ट फ्लड के कारण तीस्ता-III बांध टूटने पर प्रतिक्रिया देते हुए, नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने तीन प्रमुख हितधारकों को 20 अक्टूबर को पेश होने के लिए नोटिस जारी किया। एनजीटी ने सिक्किम सरकार, सिक्किम ऊर्जा लिमिटेड जिसने चुंगथांग में तीस्ता-III का विकास और संचालन किया और एनएचपीसी को नोटिस जारी किया है। डिक्चू में 37 किमी डाउनस्ट्रीम पर 510 मेगावाट की तीस्ता-V को भारी क्षति हुई है।
4 अक्टूबर को आई बाढ़ में 1200 मेगावाट की तीस्ता-III बह गयी और एनएचपीसी की दो परियोजनाओं 510 मेगावाट की तीस्ता-V और निर्माणाधीन 500 मेगावाट की तीस्ता-VI को गंभीर नुकसान पहुंचा। वहीं, 2014 में जब एनएचपीसी की 520 मेगावाट की तीस्ता-IV परियोजना को पर्यावरण मंजूरी के लिए चुनौती का सामना करना पड़ा, तो एनएचपीसी ने एनजीटी को दिए एक हलफनामे में कहा कि चुंगथांग (तीस्ता-III) से नीचे की परियोजनाओं को जीएलओएफ से कोई खतरा नहीं है।
एनजीटी ने 2017 में तीस्ता-IV की पर्यावरण मंजूरी के खिलाफ अपील खारिज कर दी। इसके बाद उस वर्ष इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, तीन लेप्चा ग्राम पंचायतों ने उस तरीके पर सवाल उठाए थे, जिसमें जिला प्रशासन ने तीस्ता-IV की अंतिम वन मंजूरी के लिए वन अधिकार अधिनियम के तहत सहमति प्रदान की थी, जो अभी भी वेटिंग है।
5 अक्टूबर को हुए नुकसान के बारे में हुए एनएचपीसी ने एक प्रेस रिलीज में कहा, “बाढ़ का पानी तीस्ता-V के बांध से ऊपर चला गया। परियोजना स्थलों से जुड़ी सभी सड़कें, साथ ही आवासीय कॉलोनी के कुछ हिस्से, गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गए हैं। वर्तमान में पावर स्टेशन शटडाउन में है और बिजली का उत्पादन नहीं कर रहा है।” रिलीज में कहा गया कि निर्माणाधीन हाइड्रो प्रोजेक्ट तीस्ता VI का चल रहा काम बाधित हो गया है। बाढ़ का पानी बिजलीघर और ट्रांसफार्मर की गुफा में घुस गया है। बैराज और पावर हाउस पर दाएं और बाएं किनारों को जोड़ने वाले पुल बह गए हैं।
यह एनएचपीसी ने एनजीटी के समक्ष अपने हलफनामे में जो कहा था उसके बिल्कुल विपरीत है। 2014 में एनजीटी को दिए अपने हलफनामे में, एनएचपीसी ने कहा था, “जहां तक जीएलओएफ का संबंध है, ये सिक्किम के उत्तरी भाग में होने की आशंका है । जीएलओएफ की घटना चुंगथांग के ऊपर स्थित परियोजनाओं के लिए प्रासंगिक है, तीस्ता IV चुंगथांग से काफी नीचे स्थित है।”