पंजाब के फिरोजपुर में एक मेजर को घरेलू सहायिका की नाबालिग बेटी के यौन उत्पीड़न के लिए दोषी ठहराते हुए पांच साल के कठोर कारावास के साथ सेना से बर्खास्त करने की सजा सुनाई गई है। जनरल कोर्ट मार्शल (GCM) के तहत ये फैसला लिया। बर्खास्त अधिकारी आर्मी एयर डिफेंस कोर से है। वारदात के समय नो दिल्ली में तैनात था। दोषी को कोई भी सैन्य लाभ नहीं दिया जाएगा। मेजर पर आर्मी एक्ट की धारा 69 (सिविल अपराध) के साथ-साथ POCSO एक्ट 2012 के तहत मामला चलाया गया था।
घरेलू नौकरानी की 11 वर्षीय बेटी पर यौन उत्पीड़न के आरोप सामने आने पर मेजर अपनी पत्नी के साथ दिल्ली में रह रहे थे। जनवरी 2022 में घरेलू नौकर ने मेजर के खिलाफ दिल्ली कैंट में सेना अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज की गई थी। शिकायत के आधार पर सेना के अधिकारियों ने एक कोर्ट ऑफ इंक्वायरी (COI) का आदेश दिया गया था। कर्नल सतिंदर खोला इसके प्रिजाइडिंग अफसर थे।
प्रासीक्यूटर कर्नल मिर्जा असलम बेग (सेवानिवृत्त) ने अदालत के समक्ष तर्क दिया कि आरोप अच्छी तरह से साबित हो चुके हैं। उनका कहना था कि आरोपी और उसका परिवार शिक्षित था। वो अपराध की गंभीरता को जानता था। आरोपी को यौन अपराध के गंभीर परिणामों के बारे में पता था।
मेजर का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील आनंद कुमार ने कहा कि मामले में विसंगतियां थीं जिन्हें जीसीएम ने नजरअंदाज कर दिया है। बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि घटना 12 जनवरी 2022 की है। लेकिन लड़की की मां 24 जनवरी को शिकायत दर्ज करा सकी। देरी के लिए उसने कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया था। शिकायत पर किसी अथॉरिटी के हस्ताक्षर या कोई मोहर नहीं थी। महिला के भाई ने शिकायत लिखी थी। लेकिन उससे पूछताछ तक नहीं की गई। ना ही उसके रिश्तेदारों से पूछताछ की गई, जिन्हें उसने घटना के बारे में बताया था।