केंद्रीय इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी (IT) राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने शुक्रवार को कहा कि व्यक्तिगत डेटा को संभालकर रखने और उसके उपयोग के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) या कोई क्षेत्रीय नियामक अपने नियम बना सकता है। हालांकि, नया डिजिटल व्यक्तिगत डेटा सुरक्षा (DPDP) अधिनियम व्यवसायों को व्यक्तिगत डेटा को किसी भी देश (काली सूची में डाले गए देशों को छोड़कर) को भेजने की इजाजत देता है। यदि नियामकों को लगता है कि उनके पास मौजूद डेटा संवेदनशील है और वह उसे बेहतर तरीके से नियंत्रित कर सकते हैं तो वे इस डेटा को अलग नियमों के तहत ला सकते हैं।
‘एफई बेस्ट बैंक्स अवार्ड्स’ कार्यक्रम में चंद्रशेखर ने कहा कि आरबीआई या एक स्वास्थ्य नियामक कह सकता है कि हमारे डोमेन का यह व्यक्तिगत डेटा बहुत संवेदनशील है और हम इसको रखने व इस्तेमाल के अधिक सख्त, मजबूत नियम बना सकते हैं। अधिनियम में इसका प्रावधान है।
चंद्रशेखर की यह टिप्पणी महत्त्वपूर्ण है क्योंकि उद्योग जगत इस बात को लेकर स्पष्टता चाहता था कि क्या डीपीडीपी अधिनियम के अंतर्गत उनके क्षेत्रीय नियामकों द्वारा निर्धारित नियमों का पालन उन्हें करना होगा।
जहां तक डेटा के स्थानीयकरण का संबंध है तो अधिनियम किसी भी कंपनी को अपने डेटा को उन भौगोलिक क्षेत्रों में संग्रहीत करने की अनुमति देता है जो भारत के डेटा सुरक्षा मानदंडों का पालन करेंगे। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब तक डीपीडीपी अधिनियम के नियम एक भौगोलिक क्षेत्र में लागू होते हैं, हम मंचों को डेटा को वहां रखने से मना नहीं कर सकते हैं। हालांकि, यदि कोई ऐसा मामला सामने आता है, जहां किसी भारतीय नागरिक या भारतीय व्यवसाय के अधिकारों को कमतर किया गया हो, तब हमारे पास उस भौगोलिक क्षेत्र को काली सूची में डालने की शक्ति है।
गैरकानूनी रूप से ऋण देने वाले ऐप के खतरे के मुद्दे को संबोधित करते हुए मंत्री ने कहा कि सरकार एक ऐसे ढांचे पर काम कर रही है, जिसके तहत सभी ऋण देने वाले ऐप को बैंकिंग प्रणाली में प्रवेश करने की अनुमति देने से पहले उचित प्रक्रिया से गुजरना होगा। मानदंड उन ‘स्टैंडअलोन ऐप्स’ के लिए अधिक सख्त होंगे, जो निजी ऋण देने की कोशिश करने वाली अनियमित संस्थाएं हैं और उनके स्रोत ज्ञात नहीं हैं।
पिछले साल वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने ऊंची ब्याज दर पर छोटे ऋण देने वाले अवैध ऋण ऐप को लेकर चिंता व्यक्त की थी और आरबीआइ से कहा था कि वह सभी गैरकानूनी ऐप की एक सूची तैयार करे। केंद्रीय इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भी कई दर्जन ऐसे ऐप को स्टोर से हटाने के आदेश दिए थे।
चंद्रशेखर के मुताबिक, नया ढांचा ऋण ऐप की धोखाधड़ी के खतरे को नियंत्रित करेगा। बैंक या आरबीआइ की अनुमति के बिना इन ऐप को ऐप स्टोर पर आने की मंजूरी नहीं मिलेगी। साथ ही कंपनियों को ऋण देने की इजाजत नहीं होगी। उचित कदम उठाने भी महत्त्वपूर्ण हैं क्योंकि हाल ही में बहुत सारे मामले सामने आए हैं, जहां ये कंपनियां अवैध ऋण वसूली में शामिल हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि प्रति दिन 100 या 200 ऐप की दर से ऐप स्टोर पर आने वाले इन अवैध ऋण ऐप के चलते हम इनकी सूची बनाने से दूर हो गए हैं। उन्होंने कहा कि यह नकली ऐप का मामला नहीं है बल्कि यह उन ऋण ऐप के बारे में है जो लुटरे हैं और कानूनों का उल्लंघन कर रहे हैं, और आपराधिक आचरण की सीमा को पार कर रहे हैं। चंद्रशेखर ने समझाया कि यदि कोई एक ऐसा ऐप है, जिसका व्यवहार लोगों के साथ धोखा करने का है तो उसे नियमों के जरिए पकड़ा जा सकता है। उन्हें नियमित रखने के लिए उनके बैंक के व्यवहार पर भी नजर रखनी जरूरी है।
साथ ही उन्होंने कहा कि इन ऐप को प्ले स्टोर या एप्पल स्टोर पर तकनीक और सुरक्षा की अनुपालना के चलते जगह मिलती है, वहां कानूनी अनुपालना जरूरी नहीं है। इसलिए सरकार के स्तर पर हम सोच रहे हैं कि जब ये ऐप वित्त से संबंधित आपराधिक घटनाओं को अंजाम देते हैं तो इन्हें नियमित करना चुनौती बन जाता है, साथ ही यह सवाल भी होता है कि इन्हें नियमित कौन करेगा।
मंत्री ने शुक्रवार को अवैध ऋण ऐप के खतरे से निपटने के लिए एक बैठक की भी अध्यक्षता की जिसमें आइटी मंत्रालय, भारतीय रिजर्व बैंक और वित्तीय सेवा विभाग के अधिकारी शामिल थे। चंद्रशेखर ने कहा कि हम कुछ माडलों पर काम कर रहे हैं कि कैसे यह सुनिश्चित किया जाए कि इंटरनेट की सुरक्षा और विश्वास, जो वास्तव में डिजिटल नागरिकों के प्रति हमारा कर्तव्य है, से कभी समझौता नहीं किया जाए।