लाओस की एक निजी कंपनी में काम करने वाले ओडिशा के कुछ श्रमिकों ने प्रबंधन पर खुद को बंधक बनाने का आरोप लगाया है। श्रमिकों ने भारत सरकार से खुद को मुक्त कराने की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि न तो उन्हें कोई वेतन मिल रहा है और न ही उन्हें जाने दिया जा रहा है।
दक्षिण पूर्व एशियाई देश लाओस की एक प्लाईवुड कंपनी में काम करने वाले 35 मजदूरों के एक समूह ने अपनी परेशानियों को बताने के लिए एक वीडियो बना लिया और उसे अपने गांव के लोगों को भेज दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि जिस कंपनी के लिए वे काम करते थे, उसने उन्हें बंधक बना लिया है।
श्रमिकों ने अपने गांव के लोगों को भेजे वीडियो के जरिये सरकार से उन्हें मुक्त कराने घर भिजवाने का अनुरोध किया है। वीडियो में उन्होंने कहा है कि जिस प्लाईवुड कंपनी के लिए वे काम करते थे, उसका कामकाज डेढ़ माह से बंद है, लेकिन इसके बाद न तो उन्हें वापस लौटने दिया जा रहा है और न ही उन्हें वेतन भुगतान किया गया है।
केंद्रपाड़ा जिले के राजकनिका ब्लॉक के श्रमिकों ने आरोप लगाया कि कंपनी ने उनके पासपोर्ट भी छीन लिए हैं। जब यह मामला राज्य सरकार के संज्ञान में लाया गया, तो मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने संबंधित अधिकारियों को उनको वापस लाने का निर्देश दिया। मुख्यमंत्री कार्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य श्रम आयुक्त ने लाओस में भारतीय दूतावास के समक्ष यह मुद्दा उठाया।
उन्होंने कहा कि दूतावास ने ओडिशा सरकार को सूचित किया है कि श्रमिकों की सुरक्षित भारत वापसी के लिए सभी कदम उठाए जाएंगे। श्रमिकों ने ये वीडियो अपने गांव के लोगों को भेजे, जिसके बाद इन लोगों ने स्थानीय विधायक से संपर्क किया। स्थानीय विधायक ने राज्य सरकार को मामले की जानकारी दी। बंधक बनाई गई मजदूर सरोज पलाई ने वीडियो में कहा, ‘‘हमारे पास पैसा नहीं है, भोजन नहीं है। हमें वापस लौटने नहीं दिया जा रहा।’’