लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने भारत के आंतरिक मुद्दों पर यूरोपीय संसद में प्रस्ताव पर शनिवार को उसकी उपाध्यक्ष निकोला बीयर से मुलाकात के दौरान कड़ा विरोध दर्ज कराया। ओम बिरला ने यूरोपीय संसद की उपाध्यक्ष से कहा कि हर देश और संसद संप्रभु है और दूसरे देशों के आंतरिक मुद्दों पर दूसरों को चर्चा नहीं करनी चाहिए। जुलाई में यूरोपीय संसद ने एक प्रस्ताव पेश किया था जिसमें भारत सरकार से मणिपुर में हिंसा को रोकने और अल्पसंख्यकों की सुरक्षा को लेकर बात कही गई थी।
लोकसभा सचिवालय ने एक बयान में कहा कि ओम बिरला ने भारत की संप्रभुता को की बात को सामने रखते हुए भारत के आंतरिक मुद्दों पर यूरोपीय संसद में प्रस्ताव लाए जाने का विरोध किया। भारत ने जुलाई के प्रस्ताव को अस्वीकार्य और औपनिवेशिक मानसिकता वाला करार दिया था। बिरला ने यूरोपीय संसद की उपाध्यक्ष को अगले साल होने वाले भारतीय आम चुनावों के दौरान लोकतंत्र के उत्सव को देखने के लिए आमंत्रित किया। बीयर ने सफल पी20 शिखर सम्मेलन के आयोजन के लिए बिरला को बधाई दी और भारत के साथ यूरोपीय संसद के घनिष्ठ संबंधों पर जोर दिया। उन्होंने यह भी बताया कि यूरोप चुनौतीपूर्ण समय से गुजर रहा है और उन्होंने भारत से सहयोग मांगा।
दिलचस्प बात यह है कि G-20 देशों के संसदीय अध्यक्षों के शिखर सम्मेलन (P-20) में अपने समापन संबोधन के दौरान ओम बिरला ने कहा था कि परस्पर जुड़ी दुनिया में किसी भी मुद्दे को अलग-थलग करके नहीं देखा जा सकता है।
यहां लोस्कभा सांसद ने अंतर-संसदीय संघ के अध्यक्ष के साथ-साथ रूस, सिंगापुर, तुर्की, नीदरलैंड, दक्षिण अफ्रीका और मैक्सिको के पीठासीन अधिकारियों के साथ भी द्विपक्षीय बैठकें की है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने शनिवार को यहां सफलतापूर्वक संपन्न हुए पी-20 शिखर सम्मेलन के प्रतिनिधियों की मेजबानी की। दो दिवसीय पी-20 शिखर सम्मेलन का उद्घाटन शुक्रवार को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था। जिन्होंने संघर्ष और टकराव से जूझ रही दुनिया का उल्लेख किया और शांति और भाईचारे के माध्यम से आगे बढ़ने की आवश्यकता पर बल दिया।