कावेरी वाटर रेगुलेशन कमेटी (CWRC) ने कर्नाटक को फरमान दिया है कि 15 से 31 अक्टूबर के बीच तमिलनाडु को रोजाना 3 हजार क्यूसेक पानी की सप्लाई करे। 1 से 15 अक्टूबर के दौरान कर्नाटक को पानी का फ्लो मैनटेन करने के लिए भी कहा गया है।
CWRC चेयरमैन विनीत कुमार गुप्ता का कहना है कि बुधवार को हुई मीटिंग में सभी पहलुओं पर गौर किया गया। ये देखा गया कि कर्नाटक के पास कावेरी का कितना पानी है। उनका कहना है कि कर्नाटक को साफ हिदायत दे दी गई है। इस मसले पर अगली बैठक 30 अक्टूबर को आयोजित होगी। उनका कहना था कि मीटिंग के दौरान मेट्रोलॉजिकल डिपार्टमेंट की रिपोर्ट पर भी गौर किया गया। उसके बाद ये फैसला किया गया है।
हालांकि CWRC का फैसला कर्नाटक मानने को तैयार नहीं दिख रहा है। उसने पहले CWRC में ही रिट लगाकर उसके फैसले को चुनौती दी थी। कर्नाटक के सीएम सिद्धरमैया का कहना है कि इस मसले पर वो सुप्रीम कोर्ट का रुख भी करेंगे। वैसे पहले के फैसले के खिलाफ कर्नाटक सरकार सुप्रीम कोर्ट जा चुकी है। लेकिन तब शीर्ष अदालत ने CWRC के फैसले पर रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया था।
तमिलनाडु और कर्नाटक की सरकारें कावेरी के पानी को लेकर हमेशा से उलझती रही हैं। कर्नाटक मानता है कि पानी पर सिर्फ उसका ही हक है। उसका तर्क है कि कावेरी का पानी उसके अपने लिए ही पर्याप्त नहीं है। जबकि तमिलनाडु का कहना है कि कावेरी राष्ट्रीय संपत्ति है। लिहाजा उसके पानी का एक हिस्सा उसे भी मिलना चाहिए। पानी को लेकर दोनों सूबों के बीच कई दफा तनातनी भी हो चुकी है। हाल ही में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने भी कर्नाटक सरकार को इस बात के लिए लताड़ लगाई थी कि वो तमिलनाडु को पानी देने फैसले पर ठीक से पैरवी नहीं कर रही है।