दिल्ली के आनंद विहार स्टेशन से असम के कामाख्या जा रही नॉर्थ ईस्ट एक्सप्रेस के कई डिब्बे बुधवार रात पटरी से उतर गए। अधिकारियों ने बताया कि दुर्घटना में चार लोगों की मौत हो गई और 40 से ज्यादा घायल हैं। हादसे के बाद भारतीय रेलवे ने 10 ट्रेनों को रद्द कर दिया और 21 ट्रेनों के मार्ग परिवर्तित कर दिए गए हैं। NDRF, SDRF और रेलवे की टीमों ने सुबह 2 बजे तक बचाव अभियान पूरा कर लिया था, तब से रघुनाथपुर स्टेशन पर बहाली का काम चालू है।
रेलवे की प्रथम दृष्टया जांच से पता चलता है कि बुधवार रात करीब 9.40 बजे जब ट्रेन 128 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चल रही थी तो इंजन ड्राइवर को इमरजेंसी ब्रेक लगाना पड़ा। डिरेल हुई ट्रेन के गार्ड विजय कुमार ने हादसे का आंखों देखा हाल बताया। उन्होंने बताया, “ट्रेन नॉर्मल स्पीड से चल रही थी। मैं बैठ कर अपना कुछ काम कर रहा था, तभी अचानक से एक ब्रेक लगी और गाड़ी में धीरे-धीरे झटके आने लगे और फिर एक बड़ा झटका लगा। मैं उसी समय बेहोश हो गया। पांच मिनट बाद मुझे होश आया तो मैंने पानी से आंखों पर छींटे मारे। मुझे नहीं पता कि ड्राइवर ने अचानक से ब्रेक क्यों मारी।” गार्ड ने कहा कि इस बारे में वो ही अच्छे से बता सकता है कि ऐसा क्यों हुआ और क्यों उसे इस तरह ट्रेन को ब्रेक मारनी पड़ी।
वहीं, दुर्घटना में मारे गए चार यात्रियों में दिल्ली की एक महिला और उसकी जुड़वां बेटियों में से एक शामिल हैं। तीसरा पीड़ित किशनगंज का है जबकि चौथे यात्री की पहचान अभी तक नहीं हो पाई है। ट्रेन को रघुनाथपुर से लगभग 40 किमी दूर आरा रेलवे स्टेशन पर रुकने का कार्यक्रम था। ट्रेन के सभी डिब्बे और इंजन पटरी से उतर गए और तीन एसी डिब्बे किनारे हो गए। सबसे ज्यादा नुकसान एसी डिब्बों को हुआ है।
33 लोगों को भोजपुर, बक्सर और पटना के सरकारी अस्पतालों में रेफर किया गया जबकि अन्य 38 यात्रियों को प्राथमिक उपचार के बाद रघुनाथपुर के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र से छुट्टी दे दी गई। रघुनाथपुर सीएचसी के प्रमुख डॉ जीके यादव ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “दिल्ली निवासी उषा भंडारी (33), उनकी बेटी आकृति भंडारी (8) और किशनगंज निवासी अबू जायद को मृत लाया गया था। हमें बताया गया कि उषा और उनकी बेटी एक एसी कोच के गेट के पास थीं। आपातकालीन ब्रेक लगाने के बाद जैसे ही उसका गेट खुला, वे ट्रैक पर गिर गए और उनकी मौत हो गई।”
डॉ यादव ने कहा कि पटना, आरा और बक्सर रेफर किए गए 33 यात्रियों में से अधिकांश को हड्डी या सिर में चोट थी। बचाव कार्य के लिए सबसे पहले ग्रामीण पहुंचे जबकि राहत एवं बचाव दल रात 11.30 बजे तक मौके पर पहुंच गए। रघुनाथपुर निवासी विकास कुमार सिंह ने कहा कि पड़ोसी गांवों के लगभग 100 लोगों ने सीढ़ियों का इस्तेमाल करके खिड़कियों के शीशे काटकर यात्रियों को बाहर निकालने के लिए शुरुआत में बचाव किया।