कांग्रेस के उम्मीदवारों को अभी अपने नामों की घोषणा के लिए श्राद्ध पक्ष के खत्म होने का इंतजार करना होगा। पार्टी के सूत्रों ने बताया कि मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना और मिजोरम के लिए उम्मीदवारों के नाम छांटने वाली समितियों की बैठकें लगातार चल रही हैं। 15 अक्तूबर को पार्टी इन राज्यों के लिए अपनी पहली सूची जारी कर सकती है।
कुल मिलाकर चुनाव मैदान में जाने के लिए अधिक समय नहीं होगा, इसलिए सबसे पहले राज्यों की गैर विवादित सूची सामने आएगी। टिकटों का मथंन करने के लिए कांग्रेस ने गुरुद्वारा रकाबगंज मार्ग पर केंद्रीकृत कक्ष भी तैयार किया है, जहां पर चुनावी राज्यवार सूचियों पर मंथन किया जा रहा है। इनमें सभी प्रभारियों और पदााधिकारियों साथ कांग्रेस अपनी बैठकें कर रही है। पार्टी सबसे पहले उन नामों पर विचार कर रही है, जहां पर किसी प्रकार का कोई विवाद नहीं है। उसको आखिरी प्रारूप बनाकर केंद्रीय चुनाव समिति (सीईसी) के समक्ष प्रभारियों द्वारा रखा जाएगा। संभावना जताई जा रही है कि इस कार्य के लिए सीईसी की बैठक रविवार को हो सकती है।
उम्मीदवार चयन प्रक्रिया में क्षेत्रीय सर्वेक्षण रिपोर्ट को आधार बनाया जा रहा है और इसके जरिए आए नामों पर मंथन किया जा रहा है। इसी रणनीति के आधार पर कांग्रेस ने हाल ही के राज्यों में भी अपनी जीत के झंडे गाड़े हैं। कर्नाटक के बाद कांग्रेस को तेलंगाना से भी उम्मीदें है और पार्टी का दावा है कि राज्य में पार्टी को बढ़त मिल रही है। यह दावा अंदरूनी सर्वेक्षण के आधार पर किया जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक इन राज्यों में तीन स्तर पर पार्टी पहले ही सर्वेक्षण करा चुकी है। यही टिकट बांटने का सबसे बड़ा आधार रहेगा। टिकट बंटवारे में हुई देरी पर गौरव गोगोई ने जवाब दिया कि भाजपा को पता होता है कि कब आचार संहिता लागू होने वाली है। उन्होंने कहा कि राजस्थान में हर पांच साल में सरकार बदलने की परंपरा होती है लेकिन इस बार वहां सरकार व मुख्यमंत्री के प्रति नाराजगी नहीं है। इसलिए राज्य में बार-बार सरकार बदलने की परंपरा इस बार टूटेगी। उन्होंने कहा कि भाजपा अपने सांसदों का टिकट काटने वाली थी, इसलिए उनको विस के टिकट दिए गए हैं।