इजरायल और हमास के बीच संघर्ष जारी है। अब तक दोनों तरफ से मरने वाले लोगों की तादाद 1 हजार से ज्यादा पहुंच गई है। दुनियाभर की नजर इस मामले पर टिकी हुई है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को फोन कॉल के लिए धन्यवाद देते हुए एक पोस्ट साझा की है। जिसमें वह पूरी तरह इजरायल के साथ खड़े होने की बात कर रहे हैं।
पीएम ने लिखा, “मैं प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को धन्यवाद देता हूं, भारत के लोग इस मुश्किल घड़ी में इजरायल के साथ मजबूती से खड़े हैं। भारत आतंकवाद के सभी रूपों और अभिव्यक्तियों की कड़ी और स्पष्ट रूप से निंदा करता है।”
I thank Prime Minister @netanyahu for his phone call and providing an update on the ongoing situation. People of India stand firmly with Israel in this difficult hour. India strongly and unequivocally condemns terrorism in all its forms and manifestations.
इजरायल पर हमास के रॉकेट हमले और इजरायल की प्रतिक्रिया के बाद दुनिया दो खेमों में बंट गई है। इन हालात में भारत खुद को कूटनीतिक रूप से एक कठिन स्थिति में पाता है। यह ऐसे समय में आया है जब नई दिल्ली क्षेत्रीय गठबंधनों और राजनयिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के साथ मिडिल ईस्ट में एक बड़ी भूमिका पर जोर दे रहा है। पीएम मोदी इस मसले पर पहले भी प्रतिक्रिया दे चुके हैं। शनिवार को इजराइल के शहरों पर हमास के रॉकेट हमले की खबरों के बीच प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया था कि वह आतंकवादी हमलों की खबर से गहरे सदमे में हैं। उन्होंने लिखा था कि हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं निर्दोष पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं। इस कठिन घड़ी में हम इजरायल के साथ एकजुटता से खड़े हैं।
विदेश मंत्रालय की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर और मंत्रालय के हैंडल से सिर्फ प्रधानमंत्री की पोस्ट को रीट्वीट किया गया है। इस मामले को लेकर दुनिया की राय दो हिस्सों में बंटी हुई है।
एक हिस्सा हमास के हमलों की कड़ी निंदा कर रहा है तो दूसरा हिस्सा इजरायल के फिलिस्तीन पर कब्जे और उनके अधिकारों के हनन की बात कर रहा है।
इस मामले पर एशिया में भारत के अलावा चीन ने कहा है कि वह इज़रायल और फ़िलिस्तीन के बीच तनाव और हिंसा से गहराई से चिंतित है। हालाँकि तेल अवीव और बीजिंग के बीच कोई विशेष द्विपक्षीय समस्याएँ नहीं हैं, बीजिंग ने वेस्ट बैंक और पूर्वी येरुशलम में इज़राइल की निर्माण गतिविधियों का विरोध किया है। पाकिस्तान ने फिलिस्तीन को समर्थन दिया है। ऐसे में भारत का स्पष्ट मत बेहद जरूरी माना जा रहा है।