तमिलनाडु के नीलगिरी जिले में 10 टाइगर्स की मौत के पीछे NTCA (राष्ट्रीय बाघ आयोग) को कई बड़ी वजह नहीं मिली है। आयोग की टीम ने कहा है कि खतरे जैसी कोई बात नहीं है। हालांकि रिपोर्ट में कुछ ऐसी बातें कही गई हैं, जिन पर फारेस्ट रेंजर्स को अमल करना होगा।
आयोग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि टाइगर्स की मौत प्राकृतिक वजहों से हैं। ये आकलन टाइगर्स की आबादी, ग्रोथ और उनके आसपास के हालात की स्टडी करने के बाद सामने आया है। आयोग ने ये भी कहा है कि टाइगर्स की मूवमेंट को लेकर कोई पुख्ता जानकारी नहीं जुटाई जा रही है। रिपोर्ट में कहा गया है कि टाइगर्स को लेकर प्रशासनिक स्तर पर चौकन्ना रहना होगा।
तमिलनाडु के नीलगिरी जिले से काफी चौंकाने वाली खबर आई थी। 40 दिन के भीतर 10 बाघों ने दम तोड़ दिया था। बाघों के लगातार मरने से लोगों के साथ सरकार भी हैरत में थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक 40 दिन में 6 शावकों समेत करीब 10 बाघ की मौत हुई। राष्ट्रीय बाघ आयोग की टीम ने बाघों की मौत के कारणों का पता लगाने के लिए विस्तृत विवेचना की थी।
नीलगिरी में 16 अगस्त को सिगूर वन क्षेत्र में मां से बिछड़े 2 शावक मृत मिले थे। 17 अगस्त को नदुवत्तम में लड़ाई के कारण एक बाघ मारा गया। 31 अगस्त को मुदुमलाई टाइगर रिजर्व में एक बाघ मृत पाया गया। 9 सितंबर को एक बांध के पास 2 बाघों को जहर देकर मारा गया। 17 सितंबर को एक नर शावक की भूख से मौत हुई। 19 सितंबर को 3 मादा शावक चिन्ना कुन्नूर में मृत पाए गए।
उधर, फारेस्ट रेंजर्स का कहना है कि मादा बाघ कभी अपने बच्चों को इतनी छोटी उम्र में अकेला नहीं छोड़ती है। लापता मादा बाघ की तलाश की जा रही है। उनको अंदेशा है कि मादा बाघिन के जिंदा रहने के चांस ना के बराबर हैं, क्योंकि बच्चों को छोड़कर बाघिन कहीं नहीं जाती।