पश्चिम बंगाल की लोकल बॉडीज में हुई भर्तियों को लेकर रविवार सुबह सीबीआई ने कोलकाता में ममता बनर्जी सरकार के मंत्री फिरहाद हकीम और विधायक मदन मित्रा के आवास सहित 12 जगहों पर छापेमारी की। रेड को लेकर तृणमूल ने बीजेपी पर हमला बोला तो भगवा पार्टी ने भी अपने ही अंदाज में पलटवार कर दिया। टीएमसी का कहना है कि ये राजभवन के सामने चल रहे धरने से ध्यान हटाने की कवायद का हिस्सा है। दूसरी तरफ बीजेपी का कहना है कि ममता बनर्जी की पार्टी के अधिकांश नेता भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। अगर वो गलत नहीं हैं तो रोना क्यों रो रहे हैं।
सीबीआई की टीम ने जैसे ही छापेमारी शुरू हुई हकीम के समर्थक उनके आवास के बाहर जमा हो गए। इसी दौरान सीबीआई की एक टीम ने पूर्व मंत्री और उत्तर 24 परगना जिले के कमरहाटी से विधायक मित्रा के भवानीपुर इलाके में स्थित आवास पर भी छापेमारी की।
सीबीआई के एक प्रवक्ता ने बताया कि नगर निकायों में की गई भर्तियों की जांच के सिलसिले में रविवार को कोलकाता, कांचरापाड़ा, बैरकपुर, हलिसहर, दमदम, उत्तरी दमदम, कृष्णानगर, ताकी, कमरहाटी, चेतला, भवानीपुर सहित करीब 12 जगहों पर छापेमारी की।
टीएमसी के सांसद सौगत रॉय ने कहा कि यह अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में राजभवन के बाहर जारी विरोध प्रदर्शन से जनता का ध्यान हटाने का एक प्रयास है। भाजपा लोगों के गुस्से को देख रही है। इसी वजह से वो हरसंभव तरीके का इस्तेमाल कर रहे हैं, जिससे लोगों का ध्यान हट जाए।
भाजपा की महासचिव अग्निमित्रा पॉल ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि अगर तृणमूल के पास कुछ भी छिपाने जैसा नहीं है, तो वह ईडी और सीबीआई से क्यों भयभीत है। उनका कहना था कि पार्टी का लगभग हर नेता किसी न किसी आरोप का सामना कर रहा है।
हकीम और मित्रा दोनों को नारदा स्टिंग ऑपरेशन मामले में सीबीआई ने 2021 में गिरफ्तार किया था। मित्रा को शारदा चिट फंड घोटला मामले में सीबीआई 2014 में भी गिरफ्तार कर चुकी है। एजेंसR का आरोप है कि 2014 से 2018 के बीच राज्य के विभिन्न नागरिक निकायों ने पैसों के बदले में लगभग 15 सौ लोगों को अवैध रूप से नियुक्त किया था।