कभी देश के प्रधानमंत्री रहे एचडी देवगौड़ा और उनके बेटे एचडी कुमारस्वामी को तीखा झटका लगा है। दोनों ने जद(एस) का बीजेपी के साथ तालमेल कर लिया था। लेकिन अब इस फैसले से खफा नेता पार्टी से किनारा करते जा रहे हैं। हालिया घटनाक्रम ने देवगौड़ा पिता-पुत्र को तीखा झटका दिया है। जद(एस) की केरल यूनिट ने देवगौड़ा पिता-पुत्र के फैसले को मानने से इनकार कर दिया है। उनका कहना है कि वो वामदलों के साथ ही रहेंगे।
बीजेपी के साथ जद(एस) के तालमेल के फैसले के बाद केरल यूनिट ने शनिवार को एक मीटिंग की थी। इसमें सर्वसम्मति से फैसला लिया गया कि वो सुप्रीमो का फैसला नहीं मानने जा रहे। कोच्चि में आयोजित बैठक में देवगौड़ा के नेताओं ने फैसला लिया कि वो बीजेपी के साथ मिलकर 2024 का चुनाव लड़ने की बजाए वाम दलों के साथ मिलकर राजनीति करेंगे। 2024 के चुनाव में वो उनके साथ मिलकर ही मैदान में उतरेंगे। केरल जद (एस) के अध्यक्ष मैथ्यू टी. थॉमस ने कहा कि आलाकमान ने पार्टी के किसी मंच पर चर्चा के बिना राजग में शामिल होने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि पार्टी का माकपा के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चे के साथ चार दशक पुराना जुड़ाव है और यह जारी रहेगा।
एचडी देवगौड़ा और उनके बेटे कुमारस्वामी ने कर्नाटक चुनाव के नतीजों के बाद फैसला किया था कि वो 2024 चुनाव के मद्देनजर बीजेपी के साथ तालमेल कर रहे हैं। कुमारस्वामी की अमित शाह से मीटिंग के बाद इस गठबंधन पर जैसे ही मुहर लगी, पार्टी में बगावत का सिलसिला शुरू हो गया। कर्नाटक के कई नेता पिता पुत्र से दूरी बना गए। यहां तक कि कर्नाटक के जद(एस) चीफ सीएम इब्राहिम ने भी दो टूक कह दिया कि वो इस गठबंधन को नहीं मानते। उन्होंने पिता-पुत्र को और तीखा झटका देते हुए कहा कि वो पार्टी नहीं छोड़ने जा रहे। वो इलेक्टेड प्रेजीडेंट हैं। लिहाजा पार्टी में रहकर ही इस फैसले का विरोध करेंगे।
हालांकि देवगौड़ा ने ये कहकर नेताओं की नाराजगी दूर करने की कोशिश की कि वो अपने पहले के स्टैंड पर कायम रहेंगे। यानि अल्पसंख्यकों के लिए मजबूती से लड़ते रहेंगे। लेकिन लगता नहीं है कि उनकी बात का कोई असर उनके नेताओं पर पड़ा भी है। अगर असर हुआ होता तो केरल यूनिट सरेआम बगावत नहीं करती। मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि अभी और कुछ नेता पार्टी का दामन छोड़ेंगे। देवगौड़ा परिवार ने बीजेपी के साथ हाथ मिलाकर अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है।