महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने बुधवार को बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) अध्यक्ष शरद पवार की सहमति से 2019 में प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। हालांकि एनसीपी ने देवेंद्र फडणवीस के बयान को खारिज करते हुये इसे आधारहीन करार दिया। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इंडिया टुडे कॉन्क्लेव में एनसीपी के साथ सरकार बनाने के उनके प्रयास के समय को लेकर किए गए एक सवाल का जवाब दे रहे थे।
महाराष्ट्र में 2019 के चुनावों के बाद तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने 23 नवंबर 2019 को देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री और अजित पवार को उपमुख्यमंत्री के तौर पर शपथ दिलाई थी। हालांकि यह सरकार लगभग 72 घंटे बाद गिर गई। देवेंद्र फडणवीस ने कहा, ‘‘प्रदेश में 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद हम शरद पवार के साथ सरकार गठन पर चर्चा कर रहे थे। हमने विभागों के बंटवारे और प्रभारी मंत्रियों की जिम्मेदारियों को भी अंतिम रूप दे दिया था। लेकिन पवार ने (अपना) रुख बदल लिया और पीछे हट गए।”
देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला शरद पवार की सहमति से ही लिया गया था। महाराष्ट्र विधानसभा के लिए 2019 में हुए चुनाव में भाजपा ने 288 में से 105 सीटें जीतीं थी, और भाजपा के साथ गठबंधन में शामिल शिवसेना को 56 सीटों पर जीत मिली। हालांकि मुख्यमंत्री पद को लेकर हुए विवाद के बाद शिवसेना गठबंधन से अलग हो गई। इसके बाद प्रदेश में राजनीतिक गतिरोध के चलते राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया गया था।
उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा, “राज्यपाल को हर राजनीतिक दल से पूछना था कि क्या वह सरकार बनाने का दावा करना चाहेगा। एनसीपी ने ऐसा करने से इनकार कर दिया और उसका पत्र मुंबई में मेरे आवास पर टाइप किया गया था। पवार ने कुछ सुधारों का सुझाव दिया, जो किए गए और फिर उसे (पत्र) प्रस्तुत किया गया।”
देवेंद्र फडणवीस ने यह दावा किया कि राष्ट्रपति शासन लगाने का निर्णय लेने से पहले शरद पवार की सहमति ली गई थी। उन्होंने कहा, “शरद पवार ने हमें बताया कि वह भाजपा के साथ गठबंधन का निर्णय कम समय में नहीं ले सकते। पवार ने कहा कि वह पहले राज्य का दौरा करेंगे और लोगों को समझाने के बाद भाजपा के साथ सरकार बनाने के अपने फैसले की घोषणा करेंगे। पवार ने कहा कि उन्हें इसके लिए एक महीने की आवश्यकता होगी।”
देवेंद्र फडणवीस ने आगे कहा कि भाजपा के साथ सरकार का गठन करने के बारे में शरद पवार द्वारा रुख बदल लेने के बाद उनके भतीजे और एनसीपी नेता अजित पवार ने मिलकर साथ सरकार बनाने की कोशिश की। बाद में शरद पवार ने ऐलान किया कि शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन) महाविकास आघाड़ी की सरकार का नेतृत्व करेंगे और तीनों दलों के गठबंधन ने सरकार का गठन किया।