मादक पदार्थ जब्ती मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की तीन याचिकाएं मंगलवार को खारिज कर दीं। उन पर जुर्माना भी लगाया गया। संजीव भट्ट ने अपनी याचिका में निचली अदालत के जज पर पक्षपात करने का आरोप भी लगाया था।
जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस राजेश बिंदल की बेंच ने तीन अलग-अलग याचिकाएं दायर करने को लेकर प्रत्येक याचिका के हिसाब से एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। बेंच ने आदेश दिया कि यह राशि गुजरात हाईकोर्ट एडवोकेट फोरम के पास जमा कराई जाए। बेंच ने अपने ही पहले के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि आप कितनी बार हमारे पास आए हैं। कम से कम एक दर्जन बार।
पूर्व आईपीएस अधिकारी ने एक याचिका में पक्षपात का आरोप लगाते हुए मुकदमे को दूसरे सेशन कोर्ट में स्थानांतरित करने का अनुरोध किया था। उन्होंने दूसरी याचिका में निचली अदालत की कार्यवाही की ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग के लिए निर्देश दिए जाने का आग्रह भी किया था। भट्ट ने एक अन्य याचिका में मामले में अतिरिक्त सबूत जोड़ने का अनुरोध किया था।
गुजरात सीआईडी ने पूर्व आईपीएस अधिकारी को 2018 में गिरफ्तार किया था। मामला एक व्यक्ति को गिरफ्तार करने के लिए उसके पास मादक पदार्थ रखे जाने से संबंधित है। भट्ट ने 1996 में वकील सुमेरसिंह राजपुरोहित को लगभग एक किलोग्राम मादक पदार्थ रखने के आरोप में राजस्थान के पालनपुर के एक होटल से गिरफ्तार किया था। संजीव उस समय बनासकांठा के एसपी थे। इस मामले को लेकर गुजरात और राजस्थान पुलिस में विवाद भी हुआ था।
राजस्थान पुलिस का कहना था कि संजीव भट्ट ने सुमेरसिंह को गलत तरीके से फंसाया, क्योंकि वो उनसे कुछ चाहते थे। जबकि भट्ट का कहना है कि उन्होंने जो कुछ किया वो कानून की हद में रहते हुए किया था। उनका कहना था कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया था। इससे पहले एक अन्य बेंच ने दस मई को भट्ट की एक अलग याचिका खारिज कर दी थी।