पिछले कुछ हफ्तों में विदेशों में खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियां बढ़ी है। इसी क्रम में ब्रिटेन के लंदन में स्थित भारतीय हाई कमीशन के सामने खालिस्तानी समर्थक प्रदर्शन के लिए पहुंचे थे। इसके बाद सरकार ने तुरंत एक्शन लेते हुए उच्चायोग के सामने भारी सुरक्षा बलों की तैनाती की और प्रदर्शनकारियों को रोक दिया।
सोशल मीडिया पर आए वीडियो में साफ दिखाई दे रहा है कि खालिस्तानी समर्थक भारत विरोधी नारे लगा रहे हैं। हालांकि पुलिस की भारी मौजूदगी है और उन्हें उच्चायोग से दूर ही रोक दिया गया है। इससे पहले भी लंदन में भारतीय हाई कमीशन के बाहर जुलाई महीने में 30 से 40 खालिस्तान समर्थकों ने प्रदर्शन किया था। प्रदर्शनकारियों ने किल इंडिया नाम से एक रैली भी निकली थी। इस रैली का नेतृत्वकर्ता परमजीत सिंह पम्मा था।
उच्चायोग ने एक आधिकारिक बयान में कहा कि यह घटना तब हुई जब स्कॉटलैंड के बाहर के क्षेत्रों के तीन व्यक्तियों ने जानबूझकर गुरुद्वारा समिति द्वारा आयोजित एक बातचीत को बाधित किया। बैठक का आयोजन समुदाय, उच्चायुक्त और भारत के महावाणिज्य दूत को एक साथ लाने के इरादे से किया गया था। समुदाय के नेताओं, महिलाओं, समिति के सदस्यों और स्कॉटिश संसद के एक सदस्य को इस कार्यक्रम में भाग लेने के लिए निर्धारित किया गया था।
यह प्रदर्शन खालिस्तान समर्थक उग्रवाद के मुद्दे पर चल रहे भारत-कनाडा राजनयिक गतिरोध के बीच हुई है। कनाडा के प्रधान मंत्री जस्टिन ट्रूडो ने दावा किया था कि हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार की संलिप्तता को लेकर शक है। वहीं कनाडा के आरोपों को विदेश मंत्रालय ने बेतुका बताते हुए खारिज कर दिया है।
18 सितंबर को जस्टिन ट्रूडो ने हरदीप सिंह की हत्या का मामला उठाया था और उसके बाद से ही भारत और कनाडा के रिश्ते में खटास आ गई। दोनों देशों ने एक दूसरे के राजनयिकों को सस्पेंड कर दिया। हालांकि जब भारत ने कड़ी प्रतिक्रिया दी, उसके बाद कनाडा बैक फुट पर आया और खुद प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो ने कहा कि हम भारत के साथ मित्रतापूर्ण संबंध चाहते हैं, क्योंकि भारत एक उभरती हुई आर्थिक महाशक्ति बनने जा रहा है।