संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल पारित हुआ। अब यह बिल कानून का रूप ले चुका है। वहीं अब इस बिल पर यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री रहे और देश के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद ने बड़ी बात कही है। महिला आरक्षण विधेयक पर डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आज़ाद पार्टी के प्रमुख गुलाम नबी आज़ाद ने कहा कि वास्तव में, इसमें देरी हुई।
गुलाम नबी आजाद ने कहा, “इसे 15-20 साल पहले आना चाहिए था, वास्तव में, 30 साल पहले। जब यूपीए सरकार के दौरान इसे पारित करने का प्रयास किया गया था, तब हमारे अपने सदस्य भी इसके खिलाफ थे। इसलिए कोई सर्वसम्मति नहीं थी। अब, इसे सर्वसम्मति से पारित किया गया है। इसलिए सरकार और उन सभी राजनीतिक दलों को बधाई, जो जिद्दी नहीं हैं और उन्होंने अपनी सहमति दी।”
वहीं महिला आरक्षण बिल पर डीएमके सांसद कनिमोझी ने बीजेपी पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि भाजपा ने छलावा किया है। कनिमोझी ने कहा, “भाजपा सरकार द्वारा महिलाओं के लिए लाया गया 33% आरक्षण सिर्फ दिखावा है। जहां तक आरक्षण के मुद्दे का सवाल है, ऐसा लगता है कि इसे लागू नहीं किया जा सकता है, भले ही जनगणना और निर्वाचन क्षेत्र को फिर से परिभाषित करने में 25 साल और लग जाएं।”
कनिमोझी ने आगे कहा, “14 अक्टूबर को हम एक महिला अधिकार सम्मेलन कर रहे हैं, जिसमें इंडिया गठबंधन की महिला नेता भाग लेंगी। हम इस सम्मेलन में महिला आरक्षण विधेयक और इसका क्या मतलब है, इसके बारे में बात करेंगे। सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, सुप्रिया सुले, महबूबा मुफ्ती और AAP और टीएमसी जैसी अन्य पार्टियों के नेता भी वहां होंगे।”
बता दें कि संसद के विशेष सत्र में महिला आरक्षण बिल को पहले लोकसभा में पेश किया गया और फिर यहां से पारित हो गया। उसके बाद उसे राज्यसभा में पेश किया गया जहां से पारित हो गया। इसके बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस बिल पर हस्ताक्षर किए और यह कानून का रूप ले चुका है। महिला आरक्षण बिल का विरोध केवल लोकसभा में असदुद्दीन ओवैसी और उनकी पार्टी के दूसरे सांसद इम्तियाज जलील ने किया। दोनों ने बिल के खिलाफ वोटिंग की थी।