बिहार सरकार ने जातिगत जनगणना आधारित एक रिपोर्ट जैसे ही सार्वजनिक की वैसे ही राजनीति में एक तरह से हलचल तेज हो गई। बीजेपी इससे सकपका गई। इतनी कि खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने मध्यप्रदेश की रैली से विपक्ष पर निशाना साधा। उनका कहना था कि ये लोग फिर से जाति की राजनीति कर रहे हैं।
ग्वालियर में पीएम बोले कि जाति के आधार पर देश को बांटने की कोशिश की जा रही है। उन्होंने विपक्ष पर हमलावर होते हुए कहा कि पहले भी ये लोग गरीबों की भावनाओं से खेल करते रहे हैं। अब फिर वैसा ही हो रहा है। उनका ये बयान सर्वे रिपोर्ट रिलीज होने के बाद आया।
विपक्षी गठबंधन इंडिया के कई प्रमुख घटक दलों ने आंकड़े जारी होने के बाद कहा कि केंद्र सरकार को जल्द से जल्द राष्ट्रीय स्तर पर जाति आधारित जनगणना करानी चाहिए। बिहार सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति आधारित गणना के निष्कर्ष जारी किए, जिसमें पता चला है कि अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) राज्य की कुल आबादी का 63 प्रतिशत हैं। आंकड़ों के अनुसार राज्य की कुल जनसंख्या 13.07 करोड़ से कुछ अधिक है, जिसमें से 36 प्रतिशत के साथ ईबीसी सबसे बड़ा सामाजिक वर्ग है। इसके बाद ओबीसी 27.13 प्रतिशत हैं।
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बिहार के आंकड़े सामने आने के बाद कहा कि देश के जातिगत आंकड़े जानना जरूरी है। जिनकी जितनी आबादी है, उन्हें उनका उतना हक मिलना चाहिए। उन्होंने ‘एक्स’ पर पोस्ट किया- बिहार की जातिगत जनगणना से पता चला है कि वहां ओबीसी, एससी और एसटी 84 प्रतिशत हैं। केंद्र सरकार के 90 सचिवों में से सिर्फ 3 ओबीसी हैं। ये भारत का मात्र 5 प्रतिशत बजट संभालते हैं!
राहुल गांधी ने कहा कि इसलिए, भारत के जातिगत आंकड़े जानना ज़रूरी है। जितनी आबादी, उतना हक। ये हमारा प्रण है। उनका कहना था कि बिहार की इस पहल का स्वागत करते हुए कांग्रेस अपनी मांग दोहराती है कि केंद्र सरकार जल्द से जल्द राष्ट्रीय स्तर पर जाति आधारित जनगणना कराए।