वो‘ताबूत’ है, ‘महल’ है,‘मल्टीप्लेक्स’ है,‘भूल भुलैया’ है, ‘तिलिस्म’ है…। फिर ‘प्रतिकारी वचन’ कि हम आए तो इसका इस्तेमाल और किसी काम में करेंगे…।एक पत्रकार कहिन कि ये तो ‘चिढ़’ है। वो चिढ़ाते हैं। ये ‘चिढ़’ जाते हैं। यह ‘घृणा 1’ थी या कि ऐसी किसी घृणाओं की भभक थी कि यह ‘घृणा 2’ बनकर सीधे संसद में बरसी और जैसी ये बरसी वैसी संसद के इतिहास में कभी न बरसी!
‘महिला आरक्षण’ पर एक विपक्षी सांसद संसद में बोल रहे थे कि अचानक कुछ अघट सा घटा…। सत्तादलीय एक सांसद ने अपनी सारी घृणा उन विपक्षी सांसद पर उड़ेल दी। जो बोला वह यहां ‘उद्धरणीय’ तक नहीं! स्थिति की नजाकत देख एक वरिष्ठ मंत्री ने तुरंत कहा कि जो भी ऐसा बोला गया उसे स्पीकर महोदय रेकार्ड से हटवा दें!
अगले दिन एक सत्तादलीय सांसद नेता ने घृणोक्तियों को यह कहकर औचित्य देना चाहा कि उक्त सांसद को उकसाया गया…। लेकिन आहत सांसद व विपक्ष आक्रामक रहे कि आरोपित सांसद को संसद से निलंबित/बर्खास्त किया जाए। आहत सांसद ने संसद में व्यक्त ‘घृणा वाक्यों’ को ‘जुबानी लिंचिंग’ तक कहा। अपनी ‘जान को खतरा’ भी बताया। एक विपक्षी नेता ने कहा कि एक दिन संसद में भी ‘लिंचिंग’ होगी!
इसके बाद चैनलों की बहसों में वही हुआ जो होता आया है : सत्ता पक्षी आरोप लगाते कि विपक्षियों ने अट्ठानबे बार देश के सर्वोच्च नेता को गालियां दी हैं। ‘बोटी बोटी काटने’ व ‘तेरी कब्र खुदेगी’ जैसे कुबोल कहे गए हैं…। लेकिन यह भी कहते कि ‘आरोपित’ सांसद को वो सब नहीं कहना था…। एक विपक्षी कहिन कि अगर संसद में न कहा गया होता तो अब तक ‘एफआइआर’ हो चुकी होती और वो ‘अंदर’ होते।
बहरहाल, स्पीकर महोदय ने जांच कमेटी बना दी। अब हम रपट का इंतजार कर सकते हैं।‘महिला आरक्षण विधेयक’ पास होने के बाद की बहसों में ‘महिला आरक्षण’ के भीतर ‘ओबीसी आरक्षण’ की मांग भी उठती रही। विपक्षी कहते रहे कि महिला आरक्षण एक ‘झुनझुना’ है। यह 2031 तक लागू नहीं होने का! फिर एक दिन एक बड़े विपक्षी नेता कह बैठे कि इसे 2024 से लागू किया जा सकता है…। ये नहीं तो हम लागू कर देंगे
इस पर सत्तापक्ष का जवाब रहा कि इतनी ही जल्दी थी तो आप इसे पास क्यों न कराए? यह नियमानुसार ही लागू होगा लेकिन जो होगा जल्द से जल्द होगा! कई चैनल चहके कि यह 2024 के लिए सत्तादल का मास्टरस्ट्रोक है कि विपक्ष ‘कनफ्यूज’ हो गया है। इसके साथ ही और भी जोर- शोर से शुरू हुआ ‘महिला आरक्षण’ के भीतर ‘ओबीसी आरक्षण’ का पुराना राग कि ‘कोटे के भीतर कोटा’ चाहिए।
एक विपक्षी कहते दिखे कि हम जीते तो जाति गणना तुरंत कराएंगे और कि ‘जिसकी जितनी संख्या भारी उसकी उतनी हिस्सेदारी!’सत्तापक्षी बोले कि हम तो पहले से ही ‘ओबीसीयुक्त’ हैं। एक बहस में एक पत्रकार ने साफ किया कि ओबीसी में भी सब एक जैसे नहीं। ऊपर वाले 15 फीसद सारा लाभ ले जाते हैं बाकी के सत्तादल के साथ हैं। ये इसी से बेचैन हैं…।
एक दिन पीएम बनने की कामना के घोड़े दौड़े। फिर बिहार के एक विपक्षी नेता कहिन कि हमारे ‘उनमें’ में पीएम के सभी गुण हैं।‘इंडिया’ गठबंधन में जब- जब कामना के ऐसे घोड़े दौड़ाए जाते हैं तब- तब एंकरों और हमारे जैसे दर्शकों की बन आती है। ऐसे में एक दो नहीं 2024 के लिए पूरे ‘24 पीएम’ नजर आने लगते हैं क्योंकि ‘गठबंधन’ के सभी घटक दल अपने अपने नेताओं को पीएम के गुणों से युक्त बताने लगते हैं।
कुछ चैनलों पर विवेक अग्निहोत्री की नई फिल्म ‘द वैक्सीन वार’ की टीम से बातचीत आई। फिल्म दर्शनीय हो सकती है।फिर एक दिन अपने भैया जी ने एक रेलवे स्टेशन पर, कुली ड्रेस पहन, एक बड़ा सा ‘बैग’ सिर पर रख, ‘कुली लीला’ दिखाई। कुछ ‘खलों’ ने उस ‘बैग’ को खाली सा बताया। फिर एक दिन उन्होंने ‘कारपेंटर लीला’ भी दिखाई। उनका ‘रंदा चालन’ हमें तो ‘स्वाभाविक’ लगा! फिर भी कुछ ‘खल’ अपना ‘खलत्व’ दिखाते रहे कि यह उनका ‘गरीबी टूर’ और ‘फोटो आप’ है।
इसी क्रम में एक दिन, भाजपा ने एमपी के सात केंद्रीय नेताओं को आदेश दिया कि हे तात! विधानसभा चुनाव जीत कर दिखाओ! पहले दिन तो एक तात जी खुश दिखे लेकिन अगले दिन निराश से दिखे। फिर अगले दिन जब हाईकमान ने ‘दरेरा’ दिया तो कह उठे : जैसी आज्ञा प्रभो! सच! क्या से क्या हो गया बेवफा तेरे प्यार में…।
इस बीच ‘कनाडा की कामेडी’ ने खूब मजा दिया : पहले कनाडा के पीएम ने भारत को खालिस्तानी आतंकी ‘निज्जर’ की हत्या का जिम्मेदार बताया लेकिन भारत के मांगने पर अब तक एक प्रमाण न दिया। फिर, एक दिन ‘यहूदियों’ के ‘कत्लेआम’ के लिए कुख्यात एक ‘नाजी’ को अपनी ही संसद में सम्मानित करते दिखे। फिर इसके लिए संसद व देश से ‘माफी’ मांग ली और इसी लपेट में भारत को ‘उभरती बड़ी आर्थिक शक्ति’ कहकर अब तक के अपने ‘कुबोलों’ पर पानी डालने की कोशिश भी की।
और, एक दिन पंजाब की ‘आप सरकार’ ने कांग्रेस के एक बड़े नेता खैरा को तस्करी के आरोप में गिरफ्तार कर ‘इंडिया’ गठबंधन में वो ‘दरार’ डाल दी कि कई चैनल ‘इंडिया’ गठबंधन में ‘दरारें ही दरारें’ देखने दिखाने लगे।और अंत में ‘वहीदा रहमान’ को ‘दादा साहब फाल्के’ सम्मान! भई वाह!