असम पुलिस ने सूबे के चार जिलों में सशस्त्र बल अधिनियम (अफस्पा) का छह और महीनों के लिए विस्तार कर दिया गया है। हालांकि, चार अन्य जिलों से इस दर्जे को हटा लिया गया है। अफस्पा के तहत सुरक्षाबलों को पूर्व में बिना कोई वारंट जारी किए किसी को भी गिरफ्तार करने का अधिकार दिया गया है। इसके साथ ही उन्हें किसी को गोली मारने पर गिरफ्तारी या केस से छूट मिलती है।
असम पुलिस दिवस, 2023 के मौके पर डीजीपी ज्ञानेंद्र प्रताप सिंह ने गुवाहाटी में कहा कि आज से असम के केवल चार जिलों में अफस्पा लागू होगा। ये जिले डिब्रूगढ़, तिनसुकिया, शिवसागर और चराइदेव हैं। डीजीपी ने बताया कि जोरहाट, गोलाघाट, कार्बी आंगलोंग और दीमा हसाओ से एक अक्टूबर से अफस्पा हटा लिया गया है। सरकार ने पहले इन आठ जिलों में एक अप्रैल से छह और महीनों के लिए अफस्पा का विस्तार किया था। डीजीपी का कहना है कि सुरक्षा व्यवस्था का आकलन करने के बाद सरकार ने ये फैसला लिया है।
ब्रिटिश सरकार ने भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान आंदोलनों को दबाने के लिए एक कानून बनाया था। भारत आजाद हुआ तो इस कानून का पुनर्गठन किया गया। 1947 में AFSPA चार अध्यादेशों के माध्यम से जारी हुआ था। अध्यादेशों को 1948 में एक अधिनियम के जरिये फिर से स्थापित किया गया था। पूर्वोत्तर में प्रभावी वर्तमान कानून को 1958 में तत्कालीन सरकार ने संसद में पेश किया गया था।
इसे शुरू में सशस्त्र बल (असम और मणिपुर) विशेष अधिकार अधिनियम, 1958 के रूप में जाना जाता था। नगाओं के विद्रोह से निपटने के लिए यह कानून पहली बार वर्ष 1958 में लागू हुआ था। AFSFA असम, नगालैंड, मणिपुर और अरुणाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में लागू है। हालांकि सशस्त्र बलों पर अक्सर मानवाधिकारों के उल्लंघन के आरोप लगते रहे हैं।