पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने उस वजह के बारे में बताया है जिसकी वजह से वो बीजेपी के साथ गए। इंडियन एक्सप्रेस के साथ विशेष बातचीत में उन्होंने बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी के साथ उनके दोस्ताना ताल्लुकात किसी जमाने से हैं। लेकिन वो अभी बीजेपी के साथ इस वजह से गए क्योंकि कांग्रेस उनको खत्म करने पर तुली है। कांग्रेस के नेताओं की वजह से ही उनको बीजेपी विरोधी गठबंधन में शामिल नहीं किया गया।
देवगौड़ा का कहना है कि वो नीतीश के टच में 2022 से थे। दोनों के बीच बीजेपी विरोधी मोर्चे को लेकर बात चली थी। जनता फेडरल फ्रंट बनाने को लेकर नीतीश से बात हुई थी। मैं इस बात के लिए तैयार था कि नीतीश देश के प्रधानमंत्री बनें। हमारी कोशिश होगी कि जो गठबंधन बना है वो 2024 के चुनाव में विजयी होकर सामने आए। हमने कई दौर की बातचीत के बाद माना था कि 2024 चुनाव के लिए एक मोर्चा होना जरूरी है।
अलबत्ता बात इस वजह से भी नहीं बनी कि नीतीश चाहते थे कि मेरी पार्टी उनके मोर्चे में विलय कर ले। मैं इसके लिए मन बना रहा था। बातचीत ठीकठाक थी। लेकिन मेरी शर्त थी कि कर्नाटक विधानसभा से पहले ऐसी किसी बात पर अमल नहीं हो पाएगा। सब कुछ ठीक चल रहा था पर जैसे रही कर्नाटक चुनाव खत्म हुआ। मेरा साथ बातचीत तक बंद कर दी गई। सलूक इस तरह से किया गया कि पटना बैठक में बुलाया तक नहीं गया।
देवगौड़ा का कहना है कि कांग्रेस जिस तरह की राजनीति कर रही है वो समझ से परे है। कांग्रेस के दबाव के चलते ही भाजपा विरोधी I.N.D.I.A. की मीटिंग में हमें नहीं बुलाया गया। वो कहते हैं कि कांग्रेस के कुछ ऐसे नेता उनके खिलाफ हैं जो उनसे राजनीति का ककहरा सीखकर गए थे। ध्यान रहे कि कर्नाटक के मौजूदा सीएम सिद्धरमैया कभी देवगौड़ा के झंडे तले राजनीति करते थे। वो उनके खासे करीब थे। लेकिन कुछ ऐसा हुआ कि सिद्धरमैया ने देवगौड़ा का दामन छोड़कर कांग्रेस के साथ नाता जोड़ लिया। देवगौड़ा ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में माना कि सिद्धरमैया उनके खिलाफ थे। इसी वजह से राहुल गांधी उनसे किनारा करते हैं। वो राहुल को बड़ा नेता बताते हैं पर कांग्रेस जवाब तक नहीं देती। उनका कहना है कि बीजेपी से हाथ मिलाने के बावजूद वो अपने सेकुलर सिद्धांतों से पीछे नहीं हटेंगे। वो अल्पसंख्यकों के लिए हमेशा लड़ाई लड़ेंगे।