बंगाल से तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ता, पदाधिकारी और मनरेगा जॉब कार्ड धारक केंद्र सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए दिल्ली आ रहे हैं। जिस विशेष ट्रेन को वे दिल्ली के लिए पकड़ने की उम्मीद कर रहे थे, वह रद्द कर दी गई। अब वे सड़क मार्ग से दिल्ली के लिए रवाना हुए हैं लेकिन उनके लिए योगी शासित उत्तर प्रदेश से गुजरना एक बड़ी चिंता का विषय है।
योजना के अनुसार टीएमसी का विरोध प्रदर्शन 2 अक्टूबर को गांधी जयंती पर राजघाट से शुरू होना था। यहां से उनको कृषि भवन तक जाना था, जहां ग्रामीण विकास मंत्रालय स्थित है, जो मनरेगा को नियंत्रित करता है। अब प्रदर्शनकारियों को ले जाने वाली बसें शनिवार दोपहर रवाना हुईं।
कोलकाता से दिल्ली तक की दूरी 1,500 किमी से अधिक है। लगभग 2,500 लोगों को ले जाने के लिए टीएमसी द्वारा 50 निजी बसों की व्यवस्था की गई है। वहीं दूरी तय करने में करीब ढाई दिन लगेंगे। इसका मतलब यह है कि केवल टीएमसी के सांसद, मंत्री और टीएमसी के अखिल भारतीय महासचिव और नंबर 2 अभिषेक बनर्जी सहित शीर्ष नेता ही फ्लाइट से दिल्ली के लिए रवाना हुए हैं।
टीएमसी जंतर-मंतर पर एक विरोध प्रदर्शन करेगी। वहीं TMC का एक प्रतिनिधिमंडल केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री गिरिराज सिंह से मिलेगा। शनिवार की सुबह तक सभी कार्यकर्ता कोलकाता के नेताजी इनडोर स्टेडियम पहुंच गए, जहां पर उन्हें इकट्ठा होना था। कार्यकर्ता ट्रेन पकड़ने का इंतजार कर रहे थे, लेकिन ट्रेन कैंसिल हो गई। इसके बाद आनन फानन में निजी बसों की व्यवस्था की गई और पहली बस सुबह 9:30 बजे पहुंची। इसके बाद बसों में टीएमसी के कार्यकर्ता बैठे और उन्हें रवाना किया गया।
सबसे पहले आने वाली बस के 62 वर्षीय ड्राइवर मदन शॉ कोलकाता-दिल्ली रूट के अनुभवी हैं। उन्होंने अनुमान लगाया कि यात्रा में 60 घंटे से कम समय नहीं लगेगा। उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “हमें भोजन और टॉयलेट ब्रेक के लिए कई बार रुकना पड़ता है। वहां रात्रि विश्राम होगा। शायद किसी ढाबे की व्यवस्था हो जायेगी। कल शाम को ही मेरे मालिक ने मुझसे कहा कि मुझे यहां रहना है। मैंने सुबह 5 बजे पुरी से यात्रियों को मथुरापुर छोड़ा। फिर मैं स्टेडियम की ओर दौड़ा। मुझे बस एक घंटे की नींद मिली है।”