महिला आरक्षण विधेयक को शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी है। अब यह एक कानून बन गया है। राष्ट्रपति की मंजूरी मिलने के तुरंत बाद केंद्र सरकार ने एक गजट नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। यह एक ऐतिहासिक बिल है जिसे लागू करने की कवायद लंबे समय से चल रही थी। संसद में इस महीने की शुरुआत में विशेष सत्र के दौरान लोकसभा और राज्यसभा में सभी के सहमति से इसे पास कराया गया था।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति के पास सहमति के लिए भेजे जाने से पहले गुरुवार (28 सितंबर) को संसद द्वारा पारित संविधान संशोधन विधेयक पर हस्ताक्षर किए थे।
इस बिल को ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम’ कहा गया है, जिसे अब अनुच्छेद 334A के रूप में संविधान में शामिल किया जाएगा। यह कानून लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण देता है। हालांकि अभी इसे लागू होने में कुछ समय लगेगा। इस ही सवाल को लेकर विपक्ष ने कई सवाल किए थे, कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने संसद में सवाल उठाए थे कि सरकार इसे लागू करने में देरी ना करे।
2. इस बिल के मुताबिक अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित सीटों में से एक-तिहाई सीटें एससी-एसटी समुदाय से आने वाली महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी।
3. इन आरक्षित सीटों को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में अलग-अलग क्षेत्रों में रोटेशन प्रणाली से आवंटित किया जा सकता है। महिला आरक्षण बिल के मुताबिक महिलाओं के लिए सीटों का आरक्षण 15 साल के लिए ही होगा।
4.इस बिल में प्रस्ताव है कि लोकसभा के हर चुनाव के बाद आरक्षित सीटों को रोटेट किया जाना चाहिए। आरक्षित सीटें राज्य या केंद्र शासित प्रदेश के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में रोटेशन के ज़रिए आवंटित की जा सकती हैं। लेकिन यह बहुत जल्दी नहीं होगा, खास तौर पर 2024 के लोकसभा चुनाव में तो बिलकुल नहीं। यह अगली जनगणना और उसके बाद परिसीमन के बाद ही हो पाएगा।