BSP के सांसद दानिश अली ने शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर आग्रह किया कि BJP के लोकसभा सदस्य रमेश बिधूड़़ी द्वारा उनके खिलाफ की गई अपमानजनक टिप्पणी के मामले में जवाबदेही और उचित दंड सुनिश्चित किया जाए, ताकि आगे सदन में ऐसी घटनाएं नहीं हों। दानिश अली ने उन्हें मिली ‘धमकियों’ का हवाला देते हुए खुद के लिए पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था की मांग भी की।
उन्होंने प्रधानमंत्री से यह आग्रह भी किया कि वह सदन के भीतर मर्यादा और आचरण के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के महत्व की याद दिलाने से जुड़ी अपील करें। भारत के चंद्र मिशन ‘चंद्रयान-3’ की सफलता और अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियां’ विषय पर लोकसभा में चर्चा के दौरान 21 सितंबर को बिधूड़ी ने दानिश अली के खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया था।
प्रधानमंत्री को पत्र भेजने के बाद दानिश अली ने मीडिया से कहा कि अब समय आ गया है कि प्रधानमंत्री नफरत के खिलाफ बोलें। उन्होंने यह भी कहा कि बिधूड़ी की टिप्पणी से संबधित शिकायतों को लोकसभा अध्यक्ष द्वारा विशेषाधिकार समिति के पास भेजे जाने के बारे में उनके पास कोई जानकारी नहीं है।
दानिश अली ने कहा, “मेरे पास कोई जानकारी नहीं है, आपके पास भी जानकारी नहीं है। अब सब कुछ सूत्रों के हवाले से चलता है। सत्तारूढ़ दल के एक नेता (निशिकांत दुबे) ने ट्वीट कर दिया, जो खुद निराधार आरोप लगा रहे हैं, उनकी बात को सही मान लिया गया।”
BSP सांसद ने PM को लिखे पत्र में कहा, “जैसा कि आप जानते होंगे कि 21 सितंबर, 2023 के बाद से स्थिति काफी खराब हो गई है और इसने हमारे सम्मानित सदन की संसदीय मर्यादा और लोकतांत्रिक कार्यप्रणाली पर ग्रहण लगा दिया है। आप सदन के नेता और हमारे देश के प्रधानमंत्री हैं। ऐसे में मुझे विश्वास है कि आपको यह बात गहराई से पता चलेगी कि सांसद रमेश बिधूड़ी ने असंसदीय और अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल किया।”
उन्होंने कहा, “आप उस दिन सदन में मौजूद नहीं थे, फिर भी बिधूड़ी ने अपने संबोधन के दौरान आपका जिक्र करते हुए अनुचित भाषा का इस्तेमाल किया। मैंने प्रधानमंत्री के संबंध में ऐसी भाषा के उपयोग पर आपत्ति जताई… सदन की कार्यवाही से यह स्पष्ट है कि सत्ता पक्ष के किसी भी सदस्य ने आपके प्रति असंसदीय भाषा के उपयोग के खिलाफ मेरे रुख पर आपत्ति नहीं जताई। जब मैंने बिधूड़ी का ध्यान आपके प्रति असंसदीय भाषा के इस्तेमाल की ओर दिलाया, तो वे भड़क गये और उन्होंने मुझे “आतंकवादी” और “उग्रवादी” कहा।”
दानिश अली ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को भाजपा सांसदों निशिकांत दुबे और रवि किशन द्वारा लिखे गए पत्रों का हवाला देते हुए दावा किया कि सत्तापक्ष के कुछ सदस्यों ने उनके खिलाफ झूठ फैलाया और उन बातों का दावा किया, जो उन्होंने किसी भी सत्र में नहीं कही। उन्होंने प्रधानमंत्री से आग्रह किया, “मैं आपसे सभी संसद सदस्यों को सदन के भीतर मर्यादा और आचरण के उच्चतम मानकों को बनाए रखने के महत्व की याद दिलाने का आग्रह करता हूं, क्योंकि पूरी दुनिया हमें संसदीय लोकतंत्र के पथ प्रदर्शक के रूप में देखती है। ऐसी अशोभनीय घटनाओं का हमारे लोकतंत्र में कोई स्थान नहीं होना चाहिए।”
उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा, “मेरा अनुरोध है कि बिधूड़ी के निंदनीय आचरण पर जल्द से जल्द जवाबदेही तय की जानी चाहिए और उन्हें उचित दंड दिया जाना चाहिए, ताकि कोई भी सदन में इस तरह का कृत्य दोबारा न कर सके।”
दानिश अली ने यह आग्रह भी किया, “बिधूड़ी द्वारा सदन में दी गई धमकियों और उसके बाद विभिन्न जगहों से मिल रही धमकियों को देखते हुए, मैं आपसे मेरी सुरक्षा की व्यवस्था पुख्ता करने का आग्रह करता हूं। यह आवश्यक है कि मैं, और अन्य सांसद बिना किसी संदेह के अपने कर्तव्यों का पालन करने में सक्षम रहें।” (भाषा)