मणिपुर में 5 महीने से जारी हिंसा के बीच सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित पूर्व न्यायाधीशों की तीन सदस्यीय समिति ने राज्य सरकार से मणिपुर में सभी धार्मिक इमारतों की तुरंत पहचान करने और उन्हें नुकसान और अतिक्रमण से बचाने के लिए कहा है। मई से अब तक मणिपुर में हुई जातीय झड़पों में पूजा स्थलों को काफी नुकसान पहुंचाया गया है।
पैनल ने राज्य से विस्थापित व्यक्तियों की संपत्तियों के साथ-साथ हिंसा में नष्ट की गयी और जलाई गई संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उनके अतिक्रमण को रोकने के लिए भी कहा है। पैनल ने कहा, “मणिपुर सरकार को तुरंत राज्य में सभी धार्मिक इमारतों की पहचान करनी चाहिए (जिसमें चर्च, मंदिर, मस्जिद और किसी अन्य धर्म की कोई इमारत शामिल होगी) चाहे वे वर्तमान में मौजूद हों या 3 मई को शुरू हुई हिंसा में तोड़-फोड़/क्षतिग्रस्त/जलाई गई हों।”
समिति ने 8 सितंबर को राज्य सरकार के अधिकारियों के साथ अपनी बैठक में सिफारिश की। ऐसी इमारतों को अतिक्रमण, नुकसान और विनाश से बचाने के लिए भी सिफारिश की गई थी। इस महीने की शुरुआत में एक बयान में, मणिपुर पुलिस ने कहा था कि राज्य में जारी हिंसा के दौरान आगजनी के जरिए 386 धार्मिक संरचनाओं को नष्ट कर दिया गया है। पुलिस ने कहा, इनमें से 254 चर्च और 132 मंदिर थे। ये धार्मिक संरचनाएं आगजनी के 5,132 दर्ज मामलों में से थीं।
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर में हिंसा के मानवीय पहलुओं को देखने के लिए जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय समिति नियुक्त की थी। समिति में बॉम्बे हाई कोर्ट की पूर्व जज शालिनी पी जोशी और दिल्ली हाई कोर्ट की पूर्व जज आशा मेनन भी शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट की समिति ने राज्य सरकार को मणिपुर में सभी संपत्तियों और हिंसा में नष्ट हुई संपत्तियों का सर्वे करने और उनकी अलग से पहचान करने का निर्देश दिया था। समिति ने राज्य सरकार से कहा, “मणिपुर सरकार को विस्थापित व्यक्तियों की संपत्तियों के साथ-साथ हिंसा में नष्ट/जलाई गई संपत्तियों की सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए और उनके अतिक्रमण को रोकना चाहिए। अगर किसी संपत्ति पर अतिक्रमण किया गया है, तो अतिक्रमणकारियों को तुरंत अतिक्रमण हटाने का निर्देश दिया जाना चाहिए।”
समिति ने सुप्रीम कोर्ट के समक्ष दायर एक रिट याचिका की सामग्री पर गौर किया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि 3 मई को शुरू हुई हिंसा में 240-247 चर्चों में तोड़फोड़, लूटपाट और आग लगा दी गई और फर्नीचर, कीमती सामान सहित चर्च की संपत्ति को जला दिया गया। साथ ही चर्च रजिस्टर और स्वामित्व दस्तावेज या तो लूट लिए गए या जानबूझकर जला दिए गए। यह रिट याचिका मैतेई क्रिश्चियन चर्च काउंसिल, मणिपुर द्वारा दायर की गई थी।