महाराष्ट्र की राजनीति भी बड़ी दिलचस्प है। एनसीपी में आई दरार की चर्चा अभी खत्म भी नहीं हुई थी कि मौजूदा गठबंधन के बीच खटास की खबरें सामने आने लगी हैं। डिप्टी सीएम अजित पवार के कई बयान और फैसले यह दिखा रहे हैं कि भाजपा-शिवसेना और उनके बीच सबकुछ ठीक नहीं है। इस दावे का आधार कितना मजबूत है ये जानने के लिए यह समझना होगा कि अजित पवार ने इन दिनों में क्या कुछ कहा है?
डिप्टी सीएम अजित पवार ने राज्य अल्पसंख्यक विभाग की एक बैठक में मुस्लिम आरक्षण का मुद्दा उठाया और कहा कि वह इस मामले पर सीएम एकनाथ शिंदे और साथी डिप्टी सीएम देवेंद्र फड़नवीस से बातचीत करेंगे। अजित ने कहा कि भाजपा के साथ गठबंधन के बावजूद, वह अनुसूचित जाति, दलित, मुस्लिम और अन्य अल्पसंख्यकों की भलाई के लिए काम करने की राकांपा की मूल विचारधारा से समझौता नहीं करेंगे।
यह अजित पवार और भाजपा के बीच खटास की वजह इसलिए माना जा रहा है कि भाजपा ने हमेशा धार्मिक आधार पर आरक्षण का विरोध किया है, फड़नवीस ने विधानमंडल में कई बार इस मुद्दे पर पार्टी की स्थिति स्पष्ट की है।
इसके अलावा अजित पवार ने उस समय हंगामा खड़ा कर दिया था जब उन्होंने सुझाव दिया कि वह वर्तमान में वित्त मंत्री हैं लेकिन अभी वह पद ना संभालें।
गृहमंत्री अमित शाह की मुंबई यात्रा के दौरान डिप्टी सीएम अजित पवार नदारद थे। सांप्रदायिक दंगों में एक की मौत के बाद सतारा जिले के पुसेसावली का दौरा करने वाले वे महाराष्ट्र के एकमात्र मंत्री थे और उन्होंने वर्ली में एक सार्वजनिक बैठक में ‘जय श्री राम’ के नारे में शामिल होने से इनकार कर दिया, जहां उन्होंने भाजपा और शिंदे सेना के नेताओं के साथ मंच साझा किया था।
माना यह जा रहा है कि भाजपा अजित पवार की ‘महत्वाकांक्षा’ पर चिढ़ रही है। उदाहरण के लिए हाल ही में मुंबई के लालबागचा राजा गणपति मंडल में एक कार्यक्रम में जहां एक एनसीपी कार्यकर्ता ने कहा कि वह अजित को अगला सीएम बनते देखना चाहता है। हालांकि अजित पवार ने इसे ज्यादा तवज्जो नहीं दी, लेकिन बीजेपी नेता मोहित कंबोज ने सोशल मीडिया पर टिप्पणी की कि सीएम बनने के लिए किसी को 45 नहीं बल्कि 145 विधायकों की जरूरत है।