नीति निर्माता, अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ एन के सिंह ने कहा कि पीएम मोदी के पास नीतियों के क्रियान्वयन के लिए बाज सी नजर है, जो अटल बिहारी वाजपेयी के पास नहीं थी। उन्होंने कहा कि आर्थिक स्थिरता, मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों और आने वाले समय में राजनीतिक स्थिरता की संभावना को देखते हुए, भारत में 7-8 प्रतिशत सकल घरेलू उत्पाद (GDP) की वृद्धि दर जारी रहेगी।
15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एन के सिंह के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन पर पैनी नजर है। सिंह ने मुंबई में द इंडियन एक्सप्रेस द्वारा आयोजित एक्सप्रेस अड्डा में एक पैनल चर्चा के दौरान कहा, “इस बात की बहुत ज्यादा संभावना है कि हम लगभग 7-8 प्रतिशत की दर से GDP में बढ़ोत्तरी जारी रखेंगे, अगर उससे ज्यादा नहीं।” उन्होंने कहा कि देश में बड़े पैमाने पर सुधार पहले ही किए जा चुके हैं, सिवाय इसके कि इनवर्ड फ्लो को आकर्षित करने के लिए नियमों और कानूनी तरीकों को दुरुस्त करने की जरूरत है।
रैपिड-फायर सेशन के दौरान जब उनसे पूछा गया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई से कौन सी क्वालिटी सीखनी चाहिए, तो सिंह ने कहा, “उन्हें दो प्रधानमंत्रियों के साथ काम करने का सौभाग्य मिला है। उन दोनों में कुछ हद तक अलग बुद्धिमत्ता और शैली है जो उनके लिए अद्वितीय है। एन के सिंह पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई के पूर्व सचिव थे। एक ऐसी स्किल के बारे में पूछे जाने पर जो मोदी के पास है लेकिन वाजपेयी के पास नहीं थी, सिंह ने कहा कि उनके पास नीतियों और कार्यक्रमों के कार्यान्वयन पर एक बाज की नजर है।
आत्मनिर्भर भारत योजना के बारे में पूछे जाने पर एन के सिंह ने कहा कि प्रत्येक देश का राष्ट्रीय हित इसमें होगा कि महत्वपूर्ण क्षेत्रों में सप्लाई चेन पर उसकी निर्भरता सुनिश्चित हो। उन्होंने कहा कि कोई भी देश अर्थव्यवस्था में खुलेपन के बिना और व्यापार को विकास का इंजन बनाए बिना दीर्घकालिक 8 प्रतिशत की विकास दर हासिल नहीं कर सकता है।
एन के सिंह के साथ पूर्व अमेरिकी ट्रेजरी सचिव लॉरेंस एच समर्स भी पैनल का हिस्सा थे। इस दौरान उनसे उन तरीकों के बारे में पूछा गया जिनसे भारत 8 प्रतिशत विकास लक्ष्य हासिल कर सकता है। इस पर उन्होंने कहा, “मुझे आठ प्रतिशत भारत के लिए एक बहुत ही महत्वाकांक्षी लेकिन पूरी तरह से अनुचित लक्ष्य भी नहीं लगता है। यह मेरी भविष्यवाणी नहीं है कि भारत कितनी तेजी से विकास करेगा, यह भारत के लिए एक आकांक्षात्मक बयान है। ”